पंजाब में पांच नगर निगम, 44 नगर परिषद व नगर पंचायतों के नतीजे देर रात तक घोषित कर दिए गए। आप ने जालंधर, लुधियाना और पटियाला में जीत हासिल की है। वहीं कांग्रेस को फगवाड़ा और अमृतसर में जीत मिली है।
पंजाब में शनिवार को हुए पांच नगर निगमों व 44 नगर परिषदों के मतदान के नतीजे देर रात घोषित कर दिए गए। रात 11 बजे तक आए नतीजों के अनुसार पांच में से तीन नगर निगमों में आप काबिज होती दिख रही है। वहीं, कांग्रेस ने दो पर जीत हासिल कर ली है। जालंधर, लुधियाना और पटियाला में आप का मेयर बनना तय है। वहीं फगवाड़ा और अमृतसर कांग्रेस के हाथ आया है। इससे पहले सभी निगमों में कांग्रेस का कब्जा था।
जालंधर में आप बहुमत से पांच सीटें दूर रह गई है, लेकिन यहां मेयर उसी का होगा। पटियाला में आप के 35 उम्मीदवार जीत गए हैं। यहां उसका मेयर बनना तय हो गया है। लुधियाना में आप बढ़त में है। यहां लुधियाना में कांग्रेस के पूर्व मंत्री भारत भूषण आशु की पत्नी ममता आशु हार गईं हैं। वहीं, फगवाड़ा में कांग्रेस 22 सीटें लेकर सबसे बड़ी पार्टी बनी है। यहां कुर्सी पर कांग्रेस का मेयर बैठेगा। अमृतसर में कांगेस बढ़त बनाए हुए है। जालंधर में कांग्रेस छोड़ आम आदमी पार्टी में शामिल हुए पूर्व मेयर जगदीश राजा और उनकी पत्नी चुनाव हार गई हैं।
ये रहे परिणाम
फगवाड़ा: आप 12, कांग्रेस 22, भाजपा 5, शिअद 2, बसपा 1 और 3 निर्दलीय।
लुधियाना: कांग्रेस 21, आप 34, भाजपा 14 और शिअद ने तीन वार्ड जीते।
पटियाला: आप 35, भाजपा 4, कांग्रेस व शिअद 2-2 वार्ड में जरते। सात वार्डों में चुनाव नहीं हुए।
अमृतसर: कांग्रेस 10, आप 11, भाजपा 1 और 4 सीटोंं पर आजाद को जीत मिली।
जालंधर: आप 38, कांग्रेस 25, भाजपा 19, बसपा 1 और 2 सीट पर निर्दलीय जीते।
गांवों की पगडंडियों से आप ने तय की शहर की डगर
पंजाब के पांच नगर निगम चुनाव में आप का दबदबा देखने को मिला। आप ने तीन सीटों पर जीत दर्ज की। प्रदेश में बीते चार विधानसभा सीटों पर हुए उप चुनाव में भी तीन सीटों पर जीत के साथ आप का वर्चस्व देखने को मिला था। गांवों की पगडंडियों से होते हुए आप ने अब शहरी डगर भी तय कर ली है। कांग्रेस इस बार भी नगर निगम चुनाव में दो जगह जीत कर टक्कर में रही। भाजपा और शिरोमणि अकाली दल का शहरी वोट बैंक के बीच वर्चस्त खत्म होता दिखाई दिया। हालांकि, भाजपा तीसरे नंबर पर रही। कई वार्ड में भाजपा के प्रत्याशियों ने सत्ता पक्ष को शिकस्त भी दी। अमृतसर और फगवाड़ा में कांग्रेस अपनी जीत बरकरार रखने में कामयाब रही। पटियाला, जालंधर और लुधियाना में आप का झाड़ू चला।
आप के कामकाज पर जनता ने लगाई मुहर
विधानसभा उप चुनाव के बाद पांच में से तीन नगर निगम में आप की जीत से यह तय हो गया है कि एक बार फिर जनता ने सत्ता पक्ष के कामकाज पर जनता ने भरोसा जताया है। 2022 के विधानसभा चुनाव में 92 सीटें जीतकर सत्ता में आई आप ने लोकसभा चुनाव में तीन सीटें हासिल की। लोकसभा नजीजों से निराश हुई आप ने चार विधानसभा सीटों पर हुए उप चुनाव में तीन सीटें जीतकर कमबैक किया। आप पंजाब के नए प्रधान अमन अरोड़ा की अुगआई में पार्टी का शहरी क्षेत्र में भी वोट बैंक मजबूत हुआ है। ये नतीजों आम आदमी पार्टी के लिए 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए बूस्टर डोज साबित हुए हैं। इन नतीजों से पार्टी के कार्यकर्ताओं से लेकर नेताओं तक को बूस्टर मिला है।
कांग्रेस टक्कर में, विकल्प के रूप देख रही जनता
पांच में से दो नगर निगमों अमृतसर और फगवाड़ा में कांग्रेस की जीत से यह साबित होता है कि प्रदेश की जनता अब भी पार्टी को बेहतर विकल्प के रूप में देख रही है। लोकसभा में 7 सीटें जीतकर बेहतर विकल्प का दमखम दिखाने वाली कांग्रेस सत्ता दल आप को हर मोर्चे पर कड़ी टक्कर देती नजर आ रही है। दो निगमों में दोबारा से जीतकर सामने आने का मतलब है कि अब भी सत्ता दल प्रदेश में कई जगहों पर जनता की कसौटी पर खरी नहीं उतरी है।
शिअद के मुकाबले फिर बड़ी पार्टी साबित हुई भाजपा
निगम चुनावों के नतीजे पर नजर डालें तो पटियाला में आप और भाजपा के बीच और अमृतसर में कांग्रेस और भाजपा के बीच टक्कर रही। बाकी तीन निगम चुनाव में भाजपा तीसरे स्थान पर रही। गठबंधन टूटने के बाद से भाजपा लगातार शिअद के मुकाबले बड़े दल के रूप में सामने आया है। शिअद के मुकाबले भाजपा का वोटिंग प्रतिशत गांवों से लेकर शहरी इलाकों में धीरे-धीरे बढ़ रहा है। सियासी जानकारों की मानें तो भाजपा ने प्रदेश में अपनी सियासी जमीन तलाशनी शुरू कर दी है।
अकाली दल का वर्चस्व लगातार खत्म हो रहा
प्रदेश की क्षेत्रीय पार्टी शिरोमणि अकाली दल अपने अतीत से छुटकारा नहीं पा रही। बेअदबी और सत्ता में रहते हुए हुई गलतियों की सजा पूरी करने के बाद जनता के बीच नई उम्मीदों के साथ सामने आने के बाद भी दल को निराशा ही हाथ लग रही है। श्री अकाल तख्त साहिब से अकाली दल की नई कमेटी के गठन के फैसले के इंतजार में दल के नेता असमंजस में हैं। पार्टी प्रमुख सुखबीर बादल का इस्तीफा वर्किंग कमेटी ने अब तक मंजूर नहीं किया है। इस्तीफे को मंजूर किए जाने को लेकर भी बागी और बादल गुट के नेताओं में पर्दे के पीछे कोल्ड वॉर जारी है। यही कारण है कि जनता भी क्षेत्रीय दल से किनारा कर चुकी है और सियासी जानकारों की मानें तो अकाली दल का हमेशा से गांवों में वोट बैंक रहा है। गठबंधन के तहत भाजपा शहरों में और अकाली दल गांवों में अपना दमखम दिखाती थी, लेकिन अब परिस्थितियां बदल चुकी है।