वीर योद्धा अल्फ्रेड कुक को किया गया सम्मानित, 1965 के युद्ध में पाकिस्तान को चटाई थी धूल
नई दिल्ली : भारतीय वायु सेना ने पश्चिम बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर स्थित कलाईकुंडा वायु सेना स्टेशन पर 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के अपने वीर योद्धा अल्फ्रेड टायरोन कुक को युद्ध में अदम्य साहस के योगदान के लिए सलाम और सम्मानित किया। इस मौके पर कुक ने उस दिन का अपना अनुभव साझा किया। कुक ने बताया कि आज भी जब वे सात सितंबर, 1965 के दिन को याद करता हैं तो उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं और जोश भर जाते हैं। कहा कि खुद पर गर्व होता है कि अपनी मातृभूमि की रक्षा करने का मुझे सौभाग्य मिला।
न्होंने बताया कि कैसे उस दिन इसी कलाईकुंडा एयरबेस को पाकिस्तान एयर फोर्स के तबाह करने की नापाक मंसूबों पर उन्होंने पानी फेर दिया था और धूल चटाई थी। किस तरह उन्होंने चार पाकिस्तानी वायु सेना के सेबर्स को घंटों आसमान में नाच नचाया था (दो को मार गिराया था और दो को भारतीय सीमा से बाहर खदेड़ दिया था) और कलाईकुंडा एयरबेस को बचाया था।
इस मौके पर टायरोन कुक बोले, ‘यह मेरे लिए भावुक करने वाला क्षण है। कहा, मैं चाहता हूं कि मेरी अस्थियों को मेरी मातृभूमि में विसर्जित की जाएं।’ उन्होंने कहा, ‘आज देश सुरक्षित हाथों में है।’ इस दौरान वायु सेना स्टेशन पर उस दिन की घटना को तीन हॉक विमानों ने नकली युद्ध करके भी दिखाया। इस दौरान विमान और उपकरणों की एक प्रदर्शनी भी लगाई गई थी। इस दौरान कुक ने युवा पायलटों को उत्साहित और प्रेरित किया।
हॉकर हंटर से फिर मिलना भावुक करने वाला क्षण
यहां पर रखे गए हॉकर हंटर विमान को छुते हुए कुक भावुक हो गए। हंटर्स छुते हुए कुक ने कहा, जिस हंटर विमान से पाकिस्तान एयर फोर्स को धूल चटाई थी, उससे एक बार फिर मिलना भावुक करने वाला क्षण है। कलाईकुंडा वायु सेना स्टेशन हमेशा मुझे अपनी ओर खींचता है। मैंने अपने जीवन के सात यहां बीताए और 1968 में आखिरी बार इसे उड़ाया था। यहां वापस आकर और युवा पायलटों को को मेरे लिए फ्लाईपास्ट करते हुए देखकर अच्छा लगा, कहते हुए उनका गला भर्रा गया और आंखें नम हो गईं। उल्लेखनीय है कि कुक रिटायरमेंट के बाद विदेश चले गए थे। उन्होंने कहा, ‘मेरी इच्छा है कि मेरी अस्थियों को मेरी मातृभूमि (कुछ अंबाला और कुछ कलाईकुंडा) में प्रवाहित की जाएं। देश की रक्षा के लिए अदम्य साहस दिखाने वाले कुक को उसी वर्ष वीर चक्र से सम्मानित किया गया था।’