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‘ब्लीडिंग आई’ वायरस बना चिंता का कारण: जानिए इसके लक्षण, कारण और रोकथाम के उपाय

दुनियाभर में इन दिनों ‘ब्लीडिंग आई’ वायरस गंभीर चिंता का विषय बन गया है। इस घातक वायरस ने अब तक रवांडा में 15 लोगों की जान ले ली है और कई अन्य को संक्रमित कर दिया है। यह वायरस मारबर्ग वायरस डिजीज (Marburg Virus Disease – MVD) से जुड़े लक्षणों के कारण सुर्खियों में है। इसमें आंख, नाक, मुंह और अन्य शारीरिक अंगों से रक्तस्राव (Bleeding) होना प्रमुख लक्षणों में शामिल है, जिससे इसे ‘ब्लीडिंग आई’ वायरस कहा जा रहा है।

क्या है ‘ब्लीडिंग आई’ वायरस?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, यह वायरस मारबर्ग वायरस डिजीज का ही एक गंभीर रूप है। पहले इसे मारबर्ग हेमरेजिक फीवर के नाम से जाना जाता था। यह वायरस फाइलोवायरस परिवार का हिस्सा है और इबोला वायरस से निकटता से संबंधित है। इसका संक्रमण तेजी से फैलता है और मृत्यु दर काफी अधिक होती है।

मारबर्ग वायरस का प्राकृतिक स्रोत फ्रूट बैट (Rousettus aegyptiacus) माना जाता है, जो टेरोपोडिडे परिवार का हिस्सा है। ये चमगादड़ वायरस के प्राकृतिक मेजबान होते हैं और मनुष्यों में इसका संक्रमण इनके संपर्क में आने से होता है।

लक्षण: संक्रमण के शुरुआती और उन्नत संकेत

मारबर्ग वायरस डिजीज के लक्षण संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के 2 से 21 दिन बाद विकसित होते हैं। शुरुआती लक्षणों में शामिल हैं:

तेज बुखार

गंभीर सिरदर्द

मांसपेशियों में दर्द

सामान्य कमजोरी और तबीयत खराब होना

वायरस के संपर्क में आने के तीसरे दिन तक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण उभरने लगते हैं, जिनमें पेट दर्द, ऐंठन, मतली, उल्टी और दस्त शामिल हैं। गंभीर मामलों में, पांचवें दिन से रक्तस्राव (Bleeding) शुरू हो सकता है। यह रक्तस्राव नाक, आंख, कान, मसूड़ों, और योनि जैसे अंगों से हो सकता है। इसके अलावा, मल और उल्टी में खून आना भी गंभीर लक्षणों में गिना जाता है।

संक्रमण के आठवें या नौवें दिन तक, यदि ब्लड लॉस अधिक हो जाए और शॉक की स्थिति बने, तो मृत्यु का खतरा काफी बढ़ जाता है।

संक्रमण कैसे फैलता है?

मारबर्ग वायरस संक्रमित व्यक्तियों के बॉडी फ्लूइड (जैसे खून, पसीना, लार) के सीधे संपर्क में आने से फैलता है। इसके अलावा, दूषित सतहें, संक्रमित कपड़े, बिस्तर और चिकित्सा उपकरण भी संक्रमण के वाहक हो सकते हैं। इसका प्रमुख स्रोत फ्रूट बैट होता है, जो इस वायरस के प्राकृतिक मेजबान हैं।

निदान के लिए आवश्यक परीक्षण

इस वायरस के निदान के लिए एंटीजन डिटेक्शन, आरटी-पीसीआर (RT-PCR) और वायरस आइसोलेशन जैसे परीक्षण किए जाते हैं। सही समय पर निदान करना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि यह वायरस तेजी से फैलता है और इसकी गंभीरता अधिक है।

क्या है इसका इलाज?

वर्तमान में, मारबर्ग वायरस डिजीज के लिए कोई वैक्सीन या एंटीवायरल दवा उपलब्ध नहीं है। इसके उपचार के लिए केवल समर्थन चिकित्सा (Supportive Care) ही दी जाती है, जिसमें मरीज को हाइड्रेशन, ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग और अन्य शारीरिक आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाता है।

‘ब्लीडिंग आई’ वायरस का तेजी से फैलना एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य संकट पैदा कर सकता है। इससे बचाव के लिए सतर्कता और समय पर निदान अत्यंत आवश्यक है। फिलहाल इसके उपचार के लिए वैक्सीन या विशेष दवा उपलब्ध न होने के कारण, संक्रमित व्यक्तियों से संपर्क से बचना और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना ही इसका सबसे प्रभावी तरीका है।

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