बिलासपुर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: बेटे की मौत के बाद अब ससुर को देना होगा बहू और पोते-पोतियों को गुजारा भत्ता

बिलासपुर। हाईकोर्ट ने विधवा बहू के हक में एक बड़ा फैसला दिया. इस फैसले के मुताबिक, अब बेटे की मौत के बाद ससुर को विधवा बहू और उनके बच्चों के भरण पोषण के लिए गुजारा भत्ता देना पड़ेगा. दरअसल, हाईकोर्ट ने परिवार न्यायालय की ओर गुजारा भत्ता देने के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे एक ससुर की याचिका खारिज करते हुए परिवार न्यायालय के फैसले पर मुहर लगा दी है.

हाईकोर्ट ने खारिज की ससुर की अपील
बेटे की मौत के बाद विधवा बहू और पोती के भरण पोषण को लेकर ससुर की ओर से हाईकोर्ट में लगाई गई अपील को कोर्ट ने खारिज कर दी. गौरतलब है कि इस मामले में परिवार न्यायालय ने ससुर को बहू और पोती के भरण पोषण के लिए 1500 सौ रुपये पेंशन देने के लिए कहा था. इसके बाद इस आदेश के खिलाफ 40 हजार रुपये पेंशन पाने वाले ससुर ने हाईकोर्ट में अपील की थी. मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने परिवार न्यायालय के आदेश को बरकरार रखते हुए अपील खारिज कर दी. मामले की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस संजय जायसवाल की डबल बेंच में हुई थी.

फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट गया था ससुर
रायपुर जिले के तुमगांव निवासी जनक राम साहू के बेटे अमित साहू की वर्ष 2022 में मौत हो गई थी. इसके बाद उसकी 29 वर्षीय पत्नी मनीषा साहू और बेटी कुमारी टोकेश्वरी साहू उम्र लगभग 9 वर्ष के सामने अपना जीवन चलाने का संकट खड़ा हो गया. इसके बाद मनीषा ने पारिवारिक न्यायालय महासमुंद में अपनी बेटी के लिए जीवन निर्वाह भत्ता दिलाने की मांग अपने ससुर से की. जिसे मंजूर कर फैमिली कोर्ट ने मां को 1,500 रुपये प्रति माह और प्रतिवादी संख्या 2 बेटी को 500 रुपये प्रति माह देने का आदेश दिया. इसके खिलाफ जनक राम ने हाईकोर्ट में अपील कर दी.

हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा
अब हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान बताया गया कि अमित साहू की मृत्यु 2.01.2022 को हो गई थी. अपने जीवनकाल के दौरान वह पत्नी और बच्ची को 2 हजार रुपये का रखरखाव भुगतान करते थे. उनके पिता जनक राम साहू वर्ष 2013 में बिजली विभाग से सेवानिवृत्त हुए थे. सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें 40,000 रुपये प्रतिमाह पेंशन मिलती है. तुमगांव स्थित बड़े मकान से भी किराए के रूप में प्रति माह 10,000 रुपये मिलते हैं. मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा कि हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम 1956 के तहत, एक विधवा बहू अपने ससुर से भरण-पोषण की हकदार है. लिहाजा, कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा.

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