नईदिल्ली। जल्दी ही देश के बड़े मेडिकल अस्पताल का अपना खुद का मेडिकल कॉलेज होगा. केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में इसे लेकर एक बड़ी बैठक हुई है. खबरीराम को मिली जानकारी के मुताबिक, इस बैठक में करीब 62 बड़े अस्पताल ने शिरकत की, एमबीबीएस की सीट बढ़ाने और बाहर पढ़ाई करने जाने वाले स्टूडेंट के मद्देनजर मंत्रालय ने यह कदम उठाया है.
मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक निजी अस्पतालों के पास बड़ी तादात में जमीन है, लेकिन सरकारी नियमों के तहत इसके इस्तमाल से पहले कई तरह के परमिशन की जरूरत है. निजी अस्पताल में मेडिकल कॉलेज खोलने को लेकर लंबे पेपर वर्क जैसी नियमों में ढील दी जाएगी. ऐसा करने से कई बड़े अस्पताल भी मेडिकल कॉलेज खोल सकेंगे. इससे मेडिकल के क्षेत्र में सीटें भी बढ़ जाएगी. जिससे अधिक से अधिक छात्र इसकी पढ़ाई कर सकेंगे. ऐसे में अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को भी बहुत हद कर पूरा करने में मदद मिलेगी. इससे हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर भी मजबूत होगा.
ताकी सभी को मिले मेडिकल की पढ़ाई
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की माने तो मेडिकल की पढ़ाई से देश का एक बड़ा तबका वंचित रह जाता है. ऐसे में देश में मेडिकल शिक्षा को अफोर्डेबल बनाने के मकसद से यह कदम उठाया गया है. केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में कई ऐसे बड़े निजी मेडिकल कॉलेज हैं, जिनके पास जमीन की कमी नहीं है. ऐसे हॉस्पिटल की मेट्रो शहर में भरमार है, जिनमें जसलोक, ब्रिज कैंडी, कोकिला बेन, सत्य साई हॉस्पिटल्स,अपोलो जैसे अस्पताल शामिल हैं सूत्रों की मानें तो इन अस्पतालों के प्रतिनिधि भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की इस बैठक में शामिल हुए हैं. इस बैठक का मकसद इन अस्पतालों में मेडिकल कॉलेजों की सुविधा शुरू करना है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बड़े अस्पतालों से अपील की है कि वे मेडिकल स्टडी कराने के लिए कदम उठाएं. इससें सरकार उनका सहयोग करेगी. बड़े प्राइवेट अस्पताल जैसे अपोलो और जसलोक अस्पताल के प्रतिनिधि भी इस बैठक में शामिल हुए थे.