सावन का पवित्र मास देवाधिदेव महादेव को अत्यंत प्रिय है तो भादौ (भाद्रपद) भगवान श्रीकृष्ण और प्रथम पूज्य श्री गणेश को बेहद प्रिय है। इस माह में श्रीकृष्ण ने इस पवित्रधरा को दुष्टों के अत्याचारों से मुक्त कराने के लिये और पवित्र प्रेम का संदेश देने के लिये राधारानी के साथ अवतरित हुये थे। राष्ट्रीय एकता से जुड़ा दस दिन का श्रीगणेशोत्ससव इसी माह मनाया जाता है ।इसके साथ ही प्रमुख त्योहारों में हरतालिका तीज भी इसी माह है। भाद्रपद योगेश्वर श्रीकृष्ण व विघ्नहर्ता श्रीगणेश के आराधना करने से बिगड़े कार्य भी बनने लगते हैं। बस निर्मल मन से आराधना की जाये।
सावन का पवित्र महीना 31 अगस्त गुरुवार के दिन समाप्त हो जाएगा। अगले दिन एक सितंबर शुक्रवार को भाद्रपद मास की प्रतिपदा तिथि आरंभ होगी। इसी के साथ त्योहार की झड़ी लगनी शुरू हो जाएगी। इस बार सितंबर के महीने में 13 बड़े तीज त्यौहार रहेंगे।
भादो माह का शुभारंभ 1 सितंबर से
डॉ सतीश सोनी के अनुसार भाद्रपद भादो माह का शुभारंभ 1 सितंबर शुक्रवार से हो रहा है। जो कि 28 सितंबर गुरुवार तक रहेगा। जिस प्रकार श्रावण मास आते ही प्राणी शिव मय हो जाते हैं। उसी प्रकार भादो माह आते ही प्राणी गणेश मय व कृष्णमय हो जाते हैं ।
खानपान में सावधानी जरूरी
इनकी आराधना करने से सभी तरह के कार्य सिद्ध होते हैं। भाद्रपद को हिंदू पंचांग का छठवा महीना कहा जाता है। भादौ माह में ही भगवान श्री कृष्ण का रोहिणी नक्षत्र के वृषभ लग्न में जन्म हुआ था। इसी माह में स्वास्थ्य संबंधी अनेकों बीमारियों का भय रहता है। इसलिए आयुर्वेदिक इस माह में खानपान के विषय में सावधानी रखने की सलाह देता है। इसके साथ ही भादो माह में सनातन धर्म के अनेकों व्रत और पर्व को उत्साह के साथ मनाया जाता है।
भादौ माह के व्रत व पर्व
2 सितंबर कजरी तीज – तीज के दिन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए निर्जल व्रत रखकर माता पार्वती की आराधना करती है।
3 सितंबर संकटी चतुर्थी- हिंदू कलेंण्डर के अनुसार गणेश चतुर्थी पड़ती है। भाद्रपाद में संकटी चतुर्थी है। इस दिन श्री गणेश की आराधना करने व दुर्वा मात्र अर्पित करने से हर संकट दूर होते थे।
6 व 7 सितंबर को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी-यह सनातन धर्मवालंबियों का विशेष त्यौहार है। वैष्णव संप्रदाय के लोग श्रीकृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम के साथ मनाते थे। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर नगर में उत्सव जैसा माहौल रहथा था।
10 सितंबर एकादशी- मोक्ष की कामना के साथ एकादशी का व्रत कर श्रीहरि की पूजा अर्चना की जाती है।
11-12 सितंबर – प्रदोष व्रत – इस दिन सुख-समृद्धि के लिये प्रदोष व्रत रखा जाता है। प्रदोष काल में देवाधिदेव महादेव व माता पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है।
14 शिवरात्रि- मासिक शिवरात्रि इस दिन शिवभक्त देवाधिदेव महादेव के शिवलिंग के रूप में अभिषेक करते हैं।
15 सितंबर अमावस्या- पितृ को प्रसन्न करने के लिये यह दिन सर्वोत्तम माना जाता है।
19 सितंबर गणेशोत्सव- भाद्रपद की चतुर्थी से गणेशोत्सव प्रारंभ होता है, जो कि दस दिन तक चलता है। श्रीजी की भव्य पंडालों में स्थापना कर आराधना की जाती है। एकमात्र ऐसा त्यौहार राष्ट्रीय एकता की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण महोता है।
23 सितंबर राधाष्टमी – इस दिन श्रीकृष्ण की प्रिय राधारानी का प्रकाट्य हुआ था। बरसाने में राधारानी का जन्मोत्वस धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
27 सितंबर अनंत चर्तुदशी- अनंत चतुर्दशी पर अनंत की पूजा की जाती है। 15 दिन तक इसे बाजू में बांधकर रखा जाता है।
28 – भाद्रपद की पूर्णिमा- श्रीहरि को प्रसन्न करने के लिये व्रत रखते हैं। और चंद्रदोष भी दूर होता है।