सुरक्षाबलों पर हमलावर नक्सली सहयोगियों को नहीं दी जा सकती जमानत, हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

बिलासपुर : चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा एवं बीडी गुरू की डीबी ने मतदान दल पर विस्फोटक से हमलाकर सुरक्षाबलों की हत्या करने के आरोपितों की जमानत आवेदन पर कहा कि राज्य के विरुद्ध अपराधों से जुड़े मामलों में और जहां किसी अभियुक्त पर विशेष अधिनियमों के तहत आरोप लगाए गए हों, वहां सामान्यत: जमानत नहीं दी जा सकती.
सुरक्षाबलों पर हमलावर नक्सली सहयोगियों को नहीं – हाईकोर्ट
न्यायालयों को ऐसे मामलों में ज़मानत पर विचार करते समय अधिक सावधानी बरतने और सख्त रुख अपनाने की आवश्यकता है, आरोपों की गंभीरता, राज्य की सुरक्षा और ऐसे विशेष कानूनों के तहत जमानत देने पर लगाए गए वैधानिक प्रतिबंधों को ध्यान में रखते हुए आरोपियों की जमानत आवेदन निरस्त किया गया. कोर्ट ने विचारण न्यायालय को 6 माह के अंदर निर्णय करने का निर्देश दिया है.
क्या है पूरा मामला?
गरियाबंद जिला के मैनपुर क्षेत्र के एक मतदान केन्द्र को साल 2023 में मतदान समाप्त होने के बाद आई.टी.बी.पी. कांस्टेबल जोगेंद्र कुमार सुरक्षाबल के साथ लौट रहे थे. जब वे बड़ेगोबरा के पास पहुंचे, तो एक जानबूझकर बम विस्फोट किया गया. जिसका उद्देश्य उन्हें मारना था. इस बम विस्फोट के परिणामस्वरूप, कांस्टेबल जोगेंद्र कुमार गंभीर रूप से घायल हो गए और बाद में उनकी मृत्यु हो गई. उक्त घटना और शिकायत के आधार पर, पुलिस ने अभियुक्तों के विरुद्ध, भारतीय दंड संहिता की धाराएँ 147, 148, 149, 302, 307, 120-बी, 121, 121-ए विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908 की धाराएँ 4, 5 और 6, शस्त्र अधिनियम, 1959 की धाराएँ 25 और 27, तथा यूएपीए की धाराएँ 16, 17, 18, 20, 23, 38, 39, के तहत अपराध दर्ज कर भूपेन्द्र नेताम उर्फ भूपेन्द्र ध्रुव पुत्र प्रेमलाल उम्र लगभग 40 वर्ष, मोहनलाल यादव उर्फ मोहन यादव पुत्र स्वर्गीय समारू राम यादव लगभग 36 वर्ष व लखनलाल यादव उर्फ लाखन यादव पुत्र गोपीराम यादव उम्र करीबन37 वर्ष निवासी ग्राम बड़ेगोबरा, थाना. मैनपुर, जिला गरियाबंद छत्तीसगढ़ को गिरफ्तार कर विशेष न्यायाधीश एनआईए कोर्ट रायपुर में चालान पेश किया है. मामले की सुनवाई में विलंब होने एवं इनके निर्दोष होने के आधार पर हाईकोर्ट में जमानत आवेदन पेश किया गया था. चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा एवं जस्टिस बीडी गुरू की डीबी ने आरोपियों के जमानत आवेदन को खारिज किया है.