नरोदा गाम केस में बाबू बजरंगी और माया कोडनानी बरी, मुस्लिम समुदाय के 11 लोगों की हुई थी मौत

अहमदाबाद। गुजरात में अहमदाबाद की एक विशेष अदालत गुरुवार को 2002 के ‘नरोदा गाम’ सांप्रदायिक दंगे के मामले में फैसला सुनाते हुए माया कोडनानी और बाबू बजरंगी को बरी कर दिया। नरोदा गाम में हुई उस भयावह घटना में मुस्लिम समुदाय के 11 लोग मारे गए थे। गुजरात की पूर्व मंत्री और भारतीय जनता पार्टी की नेता माया कोडनानी, बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी और प्रदेश वीएचपी के पूर्व अध्यक्ष जयदीप पटेल उन 86 आरोपियों में शामिल थे जिन पर इस मामले में मुकदमा चला था। मुकदमे के 86 अभियुक्तों में से 18 की इस बीच मौत हो चुकी है।

पिछले सप्ताह ही सुरक्षित रखा गया था फैसला

2002 के सांप्रदायिक दंगों के दौरान अहमदाबाद के नरोडा गाम इलाके में 11 लोगों की हत्या के मामले में कोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाया है। इस दौरान सभी आरोपियों को अदालत में मौजूद रहने का निर्देश दिया गया है। बता दें कि अदालत ने पिछले सप्ताह ही इस मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। 2010 में शुरू हुए मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष ने क्रमशः 187 और 57 गवाहों की जांच की और लगभग 13 साल तक चले इस केस में 6 जजों ने लगातार मामले की सुनवाई की।

कोर्ट में गवाह के रूप में पेश हुए थे अमित शाह

सितंबर 2017 में बीजेपी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष (अब केंद्रीय गृह मंत्री) अमित शाह पूर्व मंत्री माया कोडनानी के पक्ष में, बचाव पक्ष के गवाह के रूप में पेश हुए थे। वर्ष 2002 के गुजरात दंगों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित SIT का यह 9वां मामला है। इस मामले में कुल 86 आरोपी थे, लेकिन उनमें से 18 आरोपियों की सुनवाई के दौरान मौत हो गई। इन आरोपियों के खिलाफ कई धाराओं में केस दर्ज किए गए थे।

गोधरा कांड के बाद की है घटना, 11 लोगों की हुई थी मौत

गोधरा में ट्रेन आगजनी की घटना में अयोध्या से लौट रहे 58 यात्रियों की मौत के एक दिन बाद 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद शहर के नरोडा गाम इलाके में दंगों के दौरान 11 लोग मारे गए थे। आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 143 (गैरकानूनी जमावड़ा), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियारों से लैस होकर दंगा करना), 129 बी (आपराधिक साजिश) के तहत मुकदमा चला। अभियोजन पक्ष ने इस मामले में 187 जबकि बचाव पक्ष ने 57 गवाहों का परीक्षण किया। जुलाई 2009 में शुरू हुए इस मुकदमे में करीब 14 साल बाद अब फैसला आया है।

यूं सामने आया था बाबू बजरंगी का नाम

इस मामले में एक स्टिंग ऑपरेशन से बजरंग दल के बाबूभाई पटेल उर्फ बाबू बजरंगी का नाम सामने आया था। बजरंगी बाद में VHP और शिवसेना में शामिल हो गया था। स्टिंग ऑपरेशन में बाबू बजरंगी महाराणा प्रताप जैसा कुछ काम करने की बात कहता नजर आया था और उसने माना था कि दंगे के वक्त वह नरोडा में मौजूद था। उसे मार्च 2019 में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी। गुजरात की मोदी सरकार में मंत्री रहीं माया कोडनानी को 2013 में नरोदा पाटिया, जहां 97 लोगों की हत्या की गई थी, मामले में दोषी ठहराते हुए 28 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। बाद में गुजरात हाई कोर्ट ने उन्हें छुट्टी दे दी थी।

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