अजमेर दरगाह को लेकर जारी विवाद के बीच सुरक्षा के मसले पर खुफिया एजेंसियां चौकन्नी हो गई हैं। अजमेर दरगाह थाना पुलिस की मौजूदगी में एटीएस ने भी मोर्चा संभाल लिया है।
अजमेर दरगाह को लेकर जारी विवाद के बीच सुरक्षा के मसले पर एजेंसियां चौकन्नी हो गई हैं। ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के 813वें सालाना उर्स पर दरगाह शरीफ और आसपास की सुरक्षा व्यवस्था को चाकचौबंद रखने के लिए अजमेर दरगाह थाना पुलिस की मौजूदगी में एटीएस ने भी मोर्चा संभाल लिया है। आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) की कमांडो टीम ने दरगाह की सुरक्षा का बारीकी से निरीक्षण किया।
यूनिर्वाता की रिपोर्ट के मुताबिक, एटीएस कमांडो टीम ने दरगाह में सुरक्षा इंतजामों को परखा और उपायों पर मंथन किया। बता दें कि सालाना उर्स का झंडा 28 दिसंबर को चढ़ेगा और रजब का चांद दिखाई देने पर 31 दिसंबर अथवा पहली जनवरी 2025 से विधिवत उर्स की शुरुआत हो जाएगी। ऐसे में सुरक्षा एजेंसियां बेहद सतर्क हैं। दरगाह थाना पुलिस के साथ एटीएस कमांडो टीम ने दरगाह के सभी गेट की जांच की।
एटीएस कमांडो टीम ने दरगाह परिसर के भीतरी हिस्सों का निरीक्षण किया और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के प्लान पर मंथन करके सुरक्षा उपायों पर चर्चा की। एटीएस कमांडो टीम ने दरगाह से ढाई दिन के झोपड़े के रास्ते का भी अवलोकन किया। सुरक्षा टीम ने दरगाह में लगे सीसीटीवी कैमरों पर जानकारी जुटाई। साथ ही चप्पे-चप्पे का बारीकी से निरीक्षण किया।
यह भी बताया जाता है कि सालाना उर्स के दौरान दरगाह के सुरक्षा इन्तजामों के साथ ही ताजा उभरे मंदिर प्रकरण के चलते सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हैं। साथ ही खुफिया एजेंसियां भी गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में एक स्थानीय अदालत में एक याचिका के जरिये दावा किया गया था कि दरगाह एक शिव मंदिर के ऊपर बनाई गई थी। इस याचिका पर अदालत ने अजमेर दरगाह समिति, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इस दावे ने नए विवाद को जन्म दे दिया है।