रायपुर : छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र में शुक्रवार को कांग्रेस विधायक अमितेश शुक्ल ने चना वितरण का मुद्दा उठाया। उन्होंने खाद्य मंत्री अमरजीत भगत से पूछा कि गरियाबंद जिले के छुरा, मैनपुर, फिंगेश्वर और देवभोग में कब और कितनी मात्रा में चना वितरण हुआ। चना की सप्लाई और पैकेजिंग के लिए किस-किस फर्म को काम दिया गया है। फर्म चयन के क्या मापदंड है।
इसके जवाब में खाद्य मंत्री ने कहा कि, दिल्ली और रायपुर की फर्म को सप्लाई और पैकेजिंग का काम दिया गया है। फर्म का चयन ई निविदा के माध्यम से किया गया। निविदा में छत्तीसगढ़ भंडार क्रय नियम का पालन किया गया। वहीं खाद्य मंत्री ने स्वीकार किया कि चना की गुणवत्ता जांच में गुणवत्ता विहीन चना पाया गया। इस पर विभाग ने चना आवंटन को रिजेक्ट कर दिया।
चना वितरण में भारी गड़बड़ी : शुक्ल
विधायक अमितेश शुक्ल ने कहा कि, चना वितरण में भारी गड़बड़ी की गई है। पूरे मामले की समय सीमा में जांच कराई जाए। इस पर मंत्री अमरजीत भगत ने अंग्रेजी में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि, समाचार पत्रों में छपी जानकारी सदन में स्वीकार नहीं है। कोई साक्ष्य हो तो दें, कार्यवाही की जाएगी।
क्या गरियाबंद में काम कर रही एजेंसी को ब्लैक लिस्ट किया गया? : चंदेल
वहीं नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने पूछा कि, गरियाबंद में काम कर रही एजेंसी को ब्लैक लिस्ट किया गया क्या? इस मामले की जानकारी अखबार में छपी, हमने उसके पहले ही चने की जांच कराकर वापस कर दिया। अमितेश शुक्ल ने कहा कि, जिस एजेंसी ने गड़बड़ी की उसे बलौदाबाजार में काम कैसे दे दिया गया। इस पर मंत्री भगत ने कहा कि, चना की जांच में गुणवत्ता विहीन पाए जाने पर पूरा लॉट वापस भेजा गया। हमारे पास कोई भी शिकायत पेंडिग नहीं है। कोई साक्ष्य है तो देवे हम कार्यवाही करेंगे। मंत्री भगत ने नेता प्रतिपक्ष के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि, एजेंसी 206 में ब्लैकलिस्ट हुई थी, जिसकी समय सीमा 209 थी।