मिजोरम : असम राइफल्स ने मिजोरम में भारत-म्यांमार सीमा के 510 किलोमीटर लंबे हिस्से पर चौकसी बढ़ाने का फैसला किया है। यह निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि पड़ोसी देश से अवैध प्रवासियों को आने से रोका जा सके।
गौरतलब है, म्यांमार में इस साल फरवरी में सेना के तख्तापलट के बाद लोग बड़े पैमाने पर सीमा पार कर चुके हैं। अधिकतर भारतीय इलाके में पहुंचे हैं। इनमें दर्जनों पुलिस वाले भी शामिल हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक 15 हजार से ज्यादा शरणार्थी मिजोरम, नागालैंड और मणिपुर में पहुंच चुके हैं। म्यांमार के चिन राज्य के साथ मिजोरम की 510 किमी लंबी सीमा सटी है।
बढ़ रहीं आपराधिक घटनाएं
असम राइफल्स के एक अधिकारी ने कहा कि पड़ोसी देश में एक सैन्य तख्तापलट के बाद म्यांमार के लोगों ने पूर्वोत्तर राज्य में शरण लेना शुरू कर दिया है। इससे राज्य में हत्या के साथ ही आपराधिक घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। उन्होंने चिंता व्यक्त कर कहा कि हमने अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए भारत-म्यांमार सीमा पर अधिकतर क्रॉसिंग को बंद करने का फैसला लिया है।
अवैध पदार्थों की तस्करी में लिप्त
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि म्यांमार के चिन राज्य में कई समूह भारत में अवैध मादक पदार्थों की तस्करी में लिप्त हैं। अधिकारी ने कहा कि बांग्लादेश और म्यांमार दोनों से कई शरणार्थियों या अवैध प्रवासियों ने नकली भारतीय पहचान पत्र भी हासिल कर लिए हैं। बता दें, मिजोरम बांग्लादेश के साथ 318 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। इस सीमा की सुरक्षा बीएसएफ कर रहा है।
बटालियन मुख्यालय होगा स्थानांतरण
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि गृह मंत्रालय और राज्य सरकार के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर के बाद बटालियन मुख्यालय को स्थानांतरण किया जाएगा। उन्होंने बताया कि असम राइफल्स, केंद्रीय अर्धसैनिक बल अपने बटालियन मुख्यालय को आइजोल के केंद्र से जोखवासंग में स्थानांतरित करेगा। उन्होंने कहा कि अब तक, स्थानांतरण के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई है। फिलहाल समझौता ज्ञापन तैयार किया जा रहा है।