नई दिल्ली : भारत के सभी नागरिकों को वार्षिक आयकर रिटर्न दाखिल करना जरूरी है। रिटायरमेंट के केस में पेंशन, ग्रेच्युटी और कर्मचारी भविष्य निधि पर टैक्स देना पड़ता है। आइए जानते हैं रिटायरमेंट बेनेफिट पर टैक्स की कैलकुलेशन कैसे की जाती है।
पेंशन पर कितना लगता है टैक्स
सरकारी और गैर-सरकारी कर्मचारियों के लिए टैक्सेशन प्रोसेस अलग-अलग है। रिटायरमेंट के समय एकमुश्त राशि मिलती है तो यह सरकारी कर्मचारियों के लिए करो से पूरी तरह मुक्त है।
दूसरी ओर, गैर-सरकारी कर्मचारी, जिन्हें ग्रेच्युटी राशि घटाकर 100 प्रतिशत पेंशन मिलती है, उन्हें कुल राशि के 50 प्रतिशत पर कर देना होता है। बचे हुए 50 प्रतिशत को आयकर से छूट दी गई है।
निजी क्षेत्र के कर्मचारी को ग्रेच्युटी सहित 100 प्रतिशत पेंशन मिलती है तो एक तिहाई राशि कर से मुक्त होती है।
ग्रेच्युटी पर कितना लगता है टैक्स
सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय मिलने वाली ग्रेच्युटी राशि पर कर से पूरी तरह छूट है। गैर-सरकारी कर्मचारियों के लिए टैक्सेशन प्रोसेस दो तरीकों से होता है।
1972 के ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम के तहत छूट ग्रेच्युटी के रूप में प्राप्त वास्तविक राशि, फर्म के लिए काम करने वाले प्रत्येक वर्ष के लिए 15 दिन का वेतन या 20 लाख रुपये में से सबसे कम राशि पर लागू होती है।
उनके लिए जो1972 के ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम के दायरे में नहीं हैं, छूट सबसे कम राशि पर लागू होती है। इसकी गणना ग्रेच्युटी के रूप में प्राप्त वास्तविक राशि, फर्म के लिए काम करने वाले प्रत्येक वर्ष के लिए आधे महीने का वेतन या 10 लाख रुपये पर होती है।
ईपीएफ पर कितना लगता है टैक्स
कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) राशि को रिटायरमेंट के बाद निकालने पर कर से छूट मिलती है। आयकर अधिनियम के अनुसार, रोजगार खत्म होने की तारीख पर कर्मचारी के खाते में जमा शेष राशि को कर से छूट दी गई है।
रिटारयमेंट बेनेफिट्स में मिलती हैं छूटें
रिटारयमेंट बेनेफिट्स के लिए आईटीआर फाइल करना जरूरी है। इसके लिए पेंशन स्टेटमेंट और फॉर्म 16 जैसे डॉक्यूमेंट की जरूरत पड़ती है। रिटारयमेंट बेनेफिट्स में कई कटौतियाँ और छूटें भी हैं।
इनके साथ टैक्स के बोझ को कुछ कम किया जा सकता है। पुरानी कर व्यवस्था के साथ इनकम टैक्स के सेक्शन 80c एक्ट में टैक्सपेयर 1.5 लाख रुपये तक का डिडक्शन पा सकता है।