वॉशिंगटन: इस समय एक वीडियो फेसबुक और ट्विटर पर काफी तेजी से यूजर्स के बीच वायरल हो रहा है। इस वीडियो में नजर आ रहा है कि अमेरिकी नौसेना की एक पनडुब्बी बर्फ की दीवार को तोड़ती हुई बाहर आ रही है। यह पनडुब्बी यूएसएस हार्टफोर्ड है और यह एक लॉस एंजिल्स क्लास की फास्ट अटैक इलेक्ट्रिक पनडुब्बी है। जो वीडियो वायरल हो रहा है वह साल 2018 का है जब यह पनडुब्बी एक युद्धाभ्यास में शामिल हो रही थी। अमेरिकी नौसेना की मानें तो यह युद्धाभ्यास पनडुब्बी बल के लिए काफी अहम होता है।
साल 2018 में हुई एक्सरसाइज
यूएसएस हार्टफोर्ड मार्च 2018 में अलास्का के उत्तर में आर्कटिक में नजर आई थी। हार्टफोर्ड के अलावा इस युद्धाभ्यास में यूएसएस कनेक्टिकट भी शामिल थी। कनेक्टिकट और फास्ट-अटैक पनडुब्बी हार्टफोर्ड, बर्फ को तोड़ते हुए बाहर आई थीं। इस पनडुब्बी ने जिस युद्धाभ्यास में हिस्सा लिया उसका नाम आइस एक्सरसाइज 2018 था जो पांच हफ्तों तक चला था। साल 2020 में भी ऐसे ही युद्धाभ्यास का आयोजन किया गया था।
दोनों पनडुब्बियों के साथ यूके की रॉयल नेवी पनडुब्बी एचएमएस ट्रेंशेंट भी यहां पर थी। अत्यधिक ठंडे पानी में पनडुब्बियों की युद्ध क्षमता को परखने और इसका स्टैंडर्ड तय करने के लिए आर्कटिक में हर दो साल में यह ट्रेनिंग होती है। जो पनडुब्बी बर्फ के समंदर को चीरती हुई निकली, उसकी कीमत दो अरब डॉलर से भी ज्यादा है। यह 110 मीटर लंबी है और इसका वजन करीब 16500 टन है।
क्यों है इस युद्धाभ्यास का मकसद
अमेरिकी नौसेना के अधिकारियों ने कहा कि आइस एक्स वह युद्धाभ्यास है जिसमें अमेरिकी नौसेना का पनडुब्बी बल और ब्रिटिश नौसेना के भागीदारों को एक चुनौतीपूर्ण वातावरण मिलता है। इस वातावरण में परिचालन, युद्ध और हथियार प्रणालियों, सोनार, कम्युनिकेशन और नेविगेशन सिस्टम को टेस्ट करने का मौका देता है। बर्फ की मौजूदगी में पनडुब्बी का माहौल और भी जटिल हो जाता है। अधिकारियों के अनुसार आर्कटिक की बर्फ ऑपरेशन के उन तरीकों को बदल देता है जिनके द्वारा पनडुब्बियां संचालित होती हैं, कम्युनिकेशन और नेविगेट करती हैं।
आर्कटिक से गुजरती पनडुब्बियां
हाल के कुछ सालों में आर्कटिक का प्रयोग पनडुब्बियों के रास्ते के लिए किया जाता है। इससे पहले आईसीईएक्स 2016 में भी अमेरिकी पनडुब्बियों यूएसएस हैम्पटन और यूएसएस हार्टफोर्ड ने इसी तरह की ट्रेनिंग को पूरा किया था। सबसे पहले साल 1947-49 में पहला आर्कटिक अंडर-आइस ऑपरेशन हुआ था जिसमें पनडुब्बियां बर्फ के नीचे थीं। एक अगस्त 1947 को आर्कटिक सबमरीन लेबोरेटरी के संस्थापक वाल्डो ल्योन के साथ डीजल पनडुब्बी यूएसएस बोअरफिश ने आइस पायलट के तौर पर जहाज पर काम किया। उस समय उन्होंने बर्फ के नीचे मिशन को अंजाम दिया था।