वॉशिंगटन: एक वैज्ञानिक ने चौंकाने वाला दावा किया है। इस दावे में कहा गया है नासा ने लगभग 50 साल पहले अनजाने में मंगल पर जीवन की खोज की होगी और इससे पहले वह समझ पाते कि यह क्या है, उन्होंने उसे मार दिया। लेकिन इस दावे पर विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है। इस नए दावे को एक दूर की कल्पना माना जा रहा हैं। टेक्निकल यूनिवर्सिटी बर्लिन के खगोलविज्ञानी डर्क शुल्ज-मकुच ने एक लेख में सुझाव दिया कि 1976 में लाल ग्रह पर उतरने के बाद नासा के वाइकिंग लैंडर्स ने मंगल ग्रह की चट्टानों के अंदर छिपे छोटे, शुष्क प्रतिरोधी जीवन का नमूना लिया होगा।
उन्होंने लिखा कि अगर ये जीवन मौजूद भी रहे होंगे तो लैंडर ने उन्हें प्रयोगों के जरिए पहले ही मार दिया होगा। इन प्रयोगों से किसी भी तरह के माइक्रोब मर जाते हैं। उन्होंने कहा, ‘यह सुझाव कुछ लोगों को पसंद नहीं आएगा। उन्होंने कहा कि ऐसे ही सूक्ष्म जीव पृथ्वी पर रहते हैं और काल्पनिक रूप से लाल ग्रह पर भी रह सकते हैं। इसलिए उन्हें नकारा नहीं जा सकता।’ नासा ने मंगल ग्रह पर वाइकिंग नाम के दो लैंडर उतारे थे। इनमें से प्रत्येक के पास अपनी एक लैब थी।
लैंडर ने किए प्रयोग
इन्होंने मंगल ग्रह पर चार प्रयोग किए। जिनमें मिट्टे के नमूने लिए गए। वाइकिंग के प्रयोग का रिजल्ट बेहद भ्रामक था और तब से कुछ वैज्ञानिक इसे लेकर भ्रमित हैं। कुछ प्रयोग ऐसे रहे जिन्होंने मंगल ग्रह पर जीवन के विचार को समर्थन दिया। कुछ गैसों की सांद्रता में छोटे-छोटे बदलावों ने संकेत दिया कि किसी प्रकार का चयापचय (Metabolism) हो रहा था, जो जीवन का एक बड़ा संकेत है। प्रयोग के दौरान क्लोरीनयुक्त कार्बनिक यौगिकों के कुछ निशान भी मिले। लेकिन तब वैज्ञानिक मान रहे थे कि ये यौगिक पृथ्वी पर सफाई के लिए इस्तेमाल किए गए कैमिकल से आए हैं। हालांकि बाद के लैंडर्स और रोवर ने साबित कर दिया कि ये यौगिक मंगल ग्रह पर प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं।
मंगल पर हो सकता है जीवन?
शुल्ज ने लिखा कि चूंकि पृथ्वी एक जलीय ग्रह है इसलिए यह उचित है कि मंगल पर अगर पानी हो तो वहां भी जीवन पैदा हो जाए। हालांकि यह संभावना की दृष्टिकोण से कुछ ज्यादा ही अच्छा विचार है। धरती पर कई ऐसी जगह हैं, जहां भीषण गर्मी और सूखे में भी सूक्ष्मजीव मिलते हैं। जैसे चिली के अटाकामा रेगिस्तान में कुछ सूक्ष्म जीव हाइग्रोस्कोपिक चट्टानों में छिप कर पनप सकते हैं। ये पत्थर बेहद नमकीन होते हैं। माइक्रोब यहां से अपने आसपास की हवा से थोड़ी मात्रा में पानी खींचते हैं। ये चट्टाने मंगल पर मौजूद है, जिनमें कुछ स्तर की नमी है। काल्पनिक रूप से ऐसे रोगाणु यहां हो सकते हैं। हालांकि ज्यादा पानी इन्हें मार देता है।