अजीत जोगी की प्रतिमा विवाद खत्म, प्रशासन और अमित जोगी में बनी सहमति

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही। छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री स्वर्गीय अजीत जोगी की प्रतिमा को लेकर बीते कुछ दिनों से चल रहा विवाद अब थम गया है। छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जे) के अध्यक्ष अमित जोगी और स्थानीय प्रशासन के बीच लिखित सहमति बनने के बाद यह मुद्दा सुलझा लिया गया है। इसके साथ ही अमित जोगी ने धरना समाप्त करते हुए वापसी कर ली।
फिलहाल प्रतिमा चबूतरे से लगी ज़मीन पर
प्रशासन ने नियमों का हवाला देते हुए चबूतरे पर फिलहाल प्रतिमा स्थापना की अनुमति नहीं दी। ऐसे में जोगी समर्थकों ने उसी चबूतरे से सटी ज़मीन पर प्रतिमा स्थापित कर दी है। प्रशासन ने यह स्पष्ट किया है कि जब तक नगरपालिका से जुड़े सभी नियम और औपचारिकताएं पूरी नहीं होतीं, तब तक प्रतिमा प्रशासन के संरक्षण में वहीं बनी रहेगी।
औपचारिकताएं पूरी होने पर होगा विधिवत लोकार्पण
समझौते के तहत यह तय हुआ है कि जैसे ही सभी कानूनी और प्रशासनिक औपचारिकताएं पूरी होती हैं, उसी निर्धारित चबूतरे पर अजीत जोगी की प्रतिमा को विधिवत स्थापित कर लोकार्पण किया जाएगा।
अमित जोगी बोले – “यह सिर्फ चार फीट का सफर और बाकी है”
मीडिया से बात करते हुए अमित जोगी ने कहा “परसों पापा की पुण्यतिथि है और मैं नहीं चाहता कि उस दिन कोई विवाद हो। इसलिए फिलहाल प्रशासन की बात मानते हुए प्रतिमा को चबूतरे से सटे स्थान पर रखा गया है। यह प्रतिमा कई कठिनाइयों से गुज़री है – चोरी हुई, तोड़ी गई, फिर स्थापित की गई और फिर उतारी गई। अब बस चार फीट का सफर और तय करना है।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि “मैं पूरी तरह संतुष्ट नहीं हूं। जब तक प्रतिमा अपने यथोचित स्थान पर स्थापित नहीं हो जाती, तब तक संतुष्टि अधूरी रहेगी।”
“जनभावनाओं का हो सम्मान” – अमित जोगी
अमित जोगी ने उम्मीद जताई कि राज्य सरकार और प्रशासन जनभावनाओं का सम्मान करते हुए जल्द से जल्द मूर्ति की स्थायी स्थापना की दिशा में कदम उठाएंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि वे फिलहाल इस घटनाक्रम को सकारात्मक नजरिए से देख रहे हैं।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का बयान भी आया सामने
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बताया कि “रेणु जोगी जी ने मुझसे मुलाकात कर इस मामले की जानकारी दी थी। हमने प्रशासन से रिपोर्ट मांगी थी। अब जो सहमति बनी है, वह स्वागत योग्य है। रिपोर्ट आने के बाद आगे उचित कार्रवाई की जाएगी।”