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CG प्रशासनिक फेरबदल : 20 अफसर हुए इधर-उधर, लेखा अजगल्‍ले को बनाया शिक्षा विभाग में ओएसडी, देखें लिस्‍ट

mantralaya

रायपुर : राज्य सरकार ने प्रशासनिक और सचिवालय सेवा के 20 अधिकारियों के प्रभार में फेरबदल किया है। इसमें उप सचिव और अवर सचिव स्तर के अधिकारी शामिल हैं। सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से इस संबंध में आदेश जारी किया गया है। मुख्यमंत्री के उप सचिव तीरथ राम लड़िया को स्कूल शिक्षा विभाग के अतिरिक्त प्रभार से मुक्त कर दिया गया है। लेखा अजगल्ले को शिक्षा विभाग में ओएसडी बनाया गया है। अजय कुमार त्रिपाठी को पर्यटन विभाग में उप सचिव नियुक्त किया गया है।

अधिकारी का नाम और नई पदस्थापना

शैलाभ साहू (उप सचिव)- सामान्य प्रशासन विभाग, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग का अतिरिक्त प्रभार

लवीना पांडेय – आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास तथा पिछड़ा वर्ग अल्पसंख्यक विकास विभाग

अजय कुमार त्रिपाठी- पर्यटन एवं संस्कृति विभाग, सामान्य प्रशासन विभाग का अतिरिक्त प्रभार

तीरथ प्रसाद लड़िया- स्कूल शिक्षा प्रभार के अतिरिक्त प्रभार से मुक्त, मुख्यमंत्री सचिवालय, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का अतिरिक्त प्रभार

प्रेमा गुलाब एक्का- सुशासन अभिसरण विभाग

कमलेश कुमार साहू- जन शिकायत निवारण विभाग

उमेश पटेल (अवर सचिव)- राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग

गंगाधर वाहिले- सुशासन एवं अभिसरण विभाग

केएम अग्रवाल- लोक निर्माण विभाग

रूचि शर्मा- पर्यटन एवं संस्कृति विभाग

तरूणा साहू- स्कूल शिक्षा विभाग

लेखा अजगले- ओएसडी, उच्च शिक्षा विभाग

गौरी शंकर शर्मा (अवर सचिव)- कृषि विकास एंव किसान कल्याण और जैव प्रौद्योगिकी विभाग

दशेराम चंद्रवंशी- वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग

राजकुमार चंचलानी- आदिम जाति विकास विभाग

कंवर लाल मांझी- समाज कल्याण विभाग

डीआर सोन्टापर- वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग

शत्रुहन यादव- आवास एवं पर्यावरण विभाग

केके भूआर्य- राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग

घनश्याम साहू- जन शिकायत निवारण विभाग

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक का कोंडागांव से बालाेद स्थानांतरण

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आइआर खान का तबादला काेंडागांव के एपीटीसी बाेरगांव किया था। अब स्थानांतरण आदेश को संशोधित कर उप सेनानी, 21वीं वाहनी करकाभाटा बालोद किया गया है। पीटीएस माना में पदस्थ अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आइआर खान ने कोंडगांव तबादला होने पर हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी। हाई कोर्ट ने दस दिनों के भीतर सक्षम प्राधिकारी को निर्णय लेने के आदेश दिए थे।

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