पिछले महीने 17 जुलाई को श्रावण में पुरुषोत्तम माह प्रारंभ होने के एक दिन पहले सोमवार को हरेली अमावस्या का संयोग बना था। अब नागपंचमी भी सोमवार को पड़ रही है। काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए नागपंचमी के दिन भगवान शिव और उनके गण नागदेवता की पूजा का महत्व है। इस बार नाग पंचमी पर मुद्रा, शुक्ल और शुभ योग का संयाेग बन रहा है।
ज्योतिषाचार्य डा.दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार शास्त्रों में नाग पंचमी के दिन प्रसिद्ध नाग विनेतकी, करकट, अनंत, तक्षक, कालिया, वासुकी की पूजा को विशेष महत्व दिया गया है। नाग देवता की पूजा करने से काल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है, साथ ही नागों से भय नहीं रहता।
1999 और 2019 में बना था संयोग
सोमवार के दिन नागपंचमी का संयोग इससे पहले 2019 और उससे 1999 में भी बना था। इस साल श्रावण में पुरुषोत्तम मास का भी संयोग बना था।
जीवित नाग नहीं, प्रतिमा काे पूजें
नागदेवता का पूजन हमेशा मंदिर में शिवलिंग के साथ ही नाग प्रतिमा का करना चाहिए। जीवित नागों को नहीं पूजना चाहिए। प्रतिमा पर दूध अर्पित करें, लेकिन जीवित नागों को दूध ना पिलाएं क्योंकि नाग दूध नहीं पीते।
ऐसे करें पूजा
– शिवजी के साथ शिवलिंग के उपर छाया दे रहे नाग प्रतिमा की ही पूजा करें
– चांदी,जस्ता का दो सर्प बनाकर पूजा करें
– नाग प्रतिमा पर हल्दी, रोली, चावल, फूल, चना, खील, बताशा, कच्चा दूध अर्पित करें।
– द्वार पर गोबर, गेरू, मिट्टी से सर्प की आकृति बनाकर पूजें।
– ‘ऊं कुरु कुल्ले फट् स्वाहा’ अथवा ‘ऊं नागेंद्रहाराय नम:’ का जाप करें।
ये ना करें
– नागपंचमी के दिन भूमि ना खोदें, हल न चलाएं।
– सुई धागे से सिलाई ना करें
– शाक ना काटें