CG आबकारी उप निरीक्षक गिरफ्तार : पत्नी को फंसाने रची साजिश, एसपी को फर्जी नोटिस भेज मांगे पांच लाख रुपये

कोरिया : छत्तीसगढ़ की कोरिया पुलिस ने आबकारी विभाग के उप निरीक्षक को गिरफ्तार किया है। आरोपी ने आठ जिलों के पुलिस अधीक्षक को फर्जी नोटिस भेजा था। इतना ही नहीं आरोपी ने एसपी कोरिया को नोटिस भेजकर पांच लाख रुपयों की मांग भी की थी।

आश्चर्यजनक मामला तो तब सामने आया जब आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर उससे पूछताछ की। सच जानकार पुलिस भी हैरान रह गई। आरोपी ने बताया कि पत्नी से उसका तलाक हो गया है और उसे परेशान करने के लिए उसने उसके नाम से फर्जी नोटिस जारी कर कोरिया एसपी सहित आठ जिलों के अधीक्षकों को भेजा था।

पत्र में एसपी कोरिया पर लगाए थे कई मनगढ़ंत आरोप

दरअसल, 16 अक्टूबर को पुलिस अधीक्षक कार्यालय कोरिया में एक स्पीड पोस्ट मिला। इस बंद लिफाफे पर प्रेषक के रूप में अनीता प्रजापति, RTI कायकर्ता कोरबा’ का उल्लेख था। पुलिस अधीक्षक कार्यालय कोरिया के मुख्य लिपिक द्वारा जब इस लिफाफे को खोला गया, तो उसमें अधिवक्ता ओमप्रकाश जोशी द्वारा अनीता प्रजापति की ओर से एसपी, कोरिया को एक पंजीकृत सूचना पत्र भेजा गया था। इस पत्र में, कथित अधिवक्ता द्वारा एसपी कोरिया पर कई मनगढंत एवं बेबुनियाद आरोप लगाए गए थे। साथ ही लिखा था कि RTI Activist के खाते में तीन दिनों के भीतर 5 लाख रूपये राशि जमा करने की चेतावनी दी गई थी।

पूर्व पत्नी को प्रताड़ित करने की थी नीयत

इस मामले को गंभीरता से लेते हुए, पुलिस अधीक्षक कार्यालय के मुख्य लिपिक फ्रांसिस जेवियर बेक द्वारा मनगढंत पत्र पर वैधानिक कार्रवाई करने थाना प्रभारी बैकुंठपुर को आवेदन पत्र प्रेषित किया गया। थाना बैकुंठपुर ने इस मामले की जांच प्रारंभ की, जिसमें ज्ञात हुआ कि प्रार्थिया अनीता प्रजापति एवं उसके अधिवक्ता ओमप्रकाश जोशी ने पंजीकृत डाक को नहीं भेजा है। मामले में सूक्ष्मता से विवेचना करते हुये लिफाफे में उल्लेखित स्पीड पोस्ट नम्बर की मौके पर जाँच किया। टेक्निकल इनपुट के आधार पर पता चला कि दिलीप प्रजापति नामक व्यक्ति अनीता प्रजापति का पूर्व पति था। उगाही पत्र पत्नी को प्रताड़ित करने की नीयत से फर्जी बनाकर भेजा था।

गुजारा भत्ता देने से बचने के लिए रची साजिश 

उल्लेखनीय है कि दिलीप प्रजापति आबकारी विभाग में उप निरीक्षक के पद पर कार्यरत है जिसका अपनी पत्नी से विवाह विच्छेद हो चुका है और न्यायालय के आदेश के अनुसार उसे 14,000 रुपये प्रति माह का भुगतान करना पड़ रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button