यूपीएससी में लैटरल एंट्री पर विवाद: वैष्णव ने राहुल गांधी के आरोपों का किया खंडन, बोले- यह युपीए का कॉन्सेप्ट

नई दिल्ली : हाल ही में यूपीएससी की लैटरल एंट्री भर्ती को लेकर विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोपों का केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने खंडन किया है। राहुल गांधी ने इसका मुद्दा उठाया था। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा था  कि इस भर्ती प्रक्रिया में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े लोगों को नियुक्त किया गया है।यह देश के संविधान पर हमला है।

लेटरल एंट्री की शुरुआत UPA सरकार में हुई थी
अश्विनी वैष्णव ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि लैटरल एंट्री का कॉन्सेप्ट UPA सरकार के कार्यकाल में ही लाया गया था। उन्होंने X (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट कर लिखा कि 2005 में UPA सरकार द्वारा गठित दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग (ARC) ने विशेषज्ञों की नियुक्ति के लिए लेटरल एंट्री का सुझाव दिया था। इस आयोग की अध्यक्षता वीरप्पा मोइली कर रहे थे।

ARC की सिफारिशों को NDA ने किया पारदर्शी तरीके से लागू
वैष्णव ने कहा कि NDA सरकार ने ARC की सिफारिशों को पारदर्शी तरीके से लागू किया है। 17 अगस्त को UPSC ने 10 संयुक्त सचिव, उप सचिव और निदेशक स्तर के पदों के लिए लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की है। यह अब तक की सबसे बड़ी लेटरल भर्ती है। इस भर्ती प्रक्रिया में उम्मीदवारों को UPSC परीक्षा देने की आवश्यकता नहीं होती और इसमें आरक्षण नियमों का भी पालन नहीं किया जाता।

SC-ST और OBC के अधिकार छीने जा रहे हैं: राहुल गांधी
18 अगस्त को राहुल गांधी ने इस भर्ती पर टिप्पणी करते हुए लिखा कि यह प्रक्रिया SC, ST और OBC वर्ग के अधिकारों को खुलकर छीनने का प्रयास है। उन्होंने इसे संविधान पर हमला बताया और कहा कि मोदी सरकार ने संघ लोक सेवा आयोग के बजाय RSS के जरिए भर्ती कर संविधान की मर्यादा का उल्लंघन किया है।

SC-ST को पद देने से बचना चाहती है सरकार: तेजस्वी यादव 
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि इस भर्ती प्रक्रिया में किसी भी प्रकार के आरक्षण का प्रावधान नहीं है। यदि सरकार ने यह भर्ती सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से की होती, तो उसे SC, ST और OBC वर्ग को आरक्षण देना पड़ता।

लेटरल एंट्री के तहत 45 पदों पर भर्ती
इस भर्ती प्रक्रिया के तहत गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और इस्पात मंत्रालय में संयुक्त सचिव और उप सचिव के 10 पद निकाले गए हैं। इसके अलावा कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, नागर विमानन मंत्रालय और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में निदेशक और उप सचिव के 35 पद भरे जाएंगे।

लंबी सेवा के बाद बनते हैं संयुक्त सचिव
संयुक्त सचिव का पद सिविल सेवाओं की परीक्षा पास करने और एक लंबी सेवा के बाद मिलता है। लेकिन लेटरल एंट्री के माध्यम से बिना किसी परीक्षा के सीधे इस पद पर नियुक्ति की जा सकती है। निजी क्षेत्र के विशेषज्ञ इसे एक बड़ी अवसर के रूप में देख रहे हैं।

लेटरल एंट्री के लिए पात्रता मानदंड
यह सरकारी नौकरी तीन साल के अनुबंध आधार पर होगी। संयुक्त सचिव के पद के लिए 15 साल का कार्य अनुभव मांगा गया है, जबकि निदेशक के लिए 10 साल और उप सचिव के लिए 7 साल का अनुभव आवश्यक है। इसके साथ ही शैक्षणिक योग्यता भी पद के अनुसार निर्धारित की गई है। उम्मीदवार इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए आधिकारिक अधिसूचना देख सकते हैं।

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