अहमदनगर से चुनाव हारने वाले बीजेपी उम्मीदवार ने EVM माइक्रोकंट्रोलर वेरिफिकेशन की मांग की

मुंबई। लोकसभा चुनाव में अहमदनगर लोकसभा सीट से चुनाव हारने वाले बीजेपी उम्मीदवार सुजय विखे पाटिल ने जिला कलेक्टर से ईवीएम माइक्रोकंट्रोलर के वेरिफिकेशन की मांग की है। सुजय की शिकायत को अहमदनगर कलेक्टर ने महाराष्ट्र के मुख्य चुनाव अधिकारी (chief electoral officer) को भेज दिया है। सुजय विखे ने कुल 40 ईवीएम के वेरिफिकेशन की मांग की है। अहमदनगर से एनसीपी (SP) उम्मीदवार निलेश लंके विजयी हुए हैं। इस चुनाव में सुजय विखे पाटिल को 5,95,868 वोट मिले जबकि निलेश लंके को 6,24,797 वोट मिले थे।

दूसरे-तीसरे नंबर पर रहने वाला उम्मीदवार कर सकता है ये मांग

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दिए गए एक आदेश के मुताबिक,चुनाव में दूसरे या तीसरे नंबर पर रहने वाला उम्मीदवार ईवीएम माइक्रोकंट्रोलर के जांच की मांग कर सकता है। जिस उम्मीदवार ने वेरिफिकेशन की याचिका दायर की होती है, उस उम्मीदवार को बताना होता है कि वह किस पोलिंग स्टेशन के ईवीएम की जांच करना चाहता है। उस ईवीएम का सीरियल नंबर क्या है।

ईवीएम टेम्पर्ड की जांच की जाएगी

मिली जानकारी के अनुसार, चुनाव नतीजों के 7 दिन के भीतर उम्मीदवार ईवीएम माइक्रोकंट्रोलर के वेरिफिकेशन की मांग कर सकता है। इसके लिए उसे फीस भी अदा करनी होती है। EVM का निर्माण करने वाले फर्म के इंजिनिअर्स ये जांच करते है। जांच के दौरान यह पता लगाने की कोशिश की जाती है कि क्या ईवीएम को टेम्पर्ड किया गया है या फिर उसमें कुछ बदलाव किया गया है। इस जांच प्रक्रिया के दौरान सभी उम्मीदवार मौजूद रह सकतें है। फिलहाल राज्य चुनाव आयोग के पास उनकी शिकायत भेज दी गई है।

48 वोट से चुनाव जीतने वाले शिवसेना सांसद को शपथ न दिलाने की अपील

उधर, मुंबई उत्तर-पश्चिम सीट से एक उम्मीदवार ने लोकसभा महासचिव से अपील की है कि वह शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे यूबीटी) के प्रतिद्वंद्वी से 48 वोट से चुनाव जीतने वाले शिवसेना के रविन्द्र वायकर को सांसद के तौर पर शपथ न दिलाएं। हिंदू समाज पार्टी के भरत शाह ने लोकसभा महासचिव को 19 जून को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि चार जून को मतगणना के दौरान गंभीर गड़बड़ियां की गईं। पत्र में दावा किया गया, ‘‘ मुंबई उत्तर पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र में मतदान और मतगणना जनप्रतिनिधित्व अधिनियम-1950 के अनुरूप स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं थी और न ही आदर्श आचार संहिता के अनुरूप थी।

 

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