क्यों कहा जाता है बजरंगबली को भगवान हनुमान, पढ़िए इसके पीछे की पौराणिक कथा

हनुमान जयंती महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है, क्योंकि यह भगवान हनुमान के जन्मोत्सव का प्रतीक है। हनुमान जयंती चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि या पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। भगवान हनुमान के आशीर्वाद से जीवन की सभी परेशानियां दूर होती हैं। साथ ही सुख-शांति बनी रहती है। हनुमान जी के जन्म और जीवन के बारे में कई प्रचलित कहानियां हैं। आज हम आपको बताएंगे कि बजरंगबली का नाम हनुमान कैसे पड़ा।

ऐसे कहलाए भगवान हनुमान

पौराणिक कथाओ के अनुसार, जब भगवान हनुमान छोटे थे तो एक दिन उन्हें भूख लग आई। उस वक्त उनके सामने कोई नहीं था। उन्होंने आकाश की ओर देखा और सूर्य देव नजर आए। हनुमान जी सूर्य देव को एक सुंदर फल समझकर आकाश की ओर उड़ गए और फल समझकर उसे अपने मुख में ले लिया, जिससे संपूर्ण जगत में अंधकार फैल गया। देवी-देवताओं के बार-बार प्रयास करने पर भी उन्होंने सूर्य देव को अपने मुख से नहीं निकाला। अंततः इंद्र देव उनके पास पहुंचे और गुस्से में आकर उन पर वज्र से हमला कर दिया।

जिसके कारण उनकी ठुड्डी यानी हनु पर चोट लग गई और इससे उनका मुंह खुला, जिससे भगवान सूर्य बाहर आ गए। लेकिन इससे उनकी ठुड्डी टूट गई और तभी से वे ‘हनुमान’ कहलाए। हालांकि, बाद में जब वायु देव क्रोधित हो गए, तो देवताओं ने उनसे माफी मांगी और उन्हें कई दिव्य उपहार और आशीर्वाद दिए।

इस तरह करें हनुमान जी की पूजा

बजरंगबली की पूजा के लिए शाम का समय सर्वोत्तम माना जाता है। ऐसे में पवित्र स्नान करने के बाद हनुमान मंदिर जाएं और भगवान को लाल सिन्दूर चढ़ाएं। इसके बाद उन्हें लाल चोला और लाल लंगोट चढ़ाएं। हनुमान जी को तुलसी की माला बहुत प्रिय है, इसलिए उन्हें तुलसी पत्र की माला अवश्य चढ़ानी चाहिए।

लड्डुओं का भोग लगाएं। फिर चमेली के तेल का दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें। अंत में आरती के साथ पूजा समाप्त करें।

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