नई आफत Parrot Fever ने डराया, अब तक 5 मौत, WHO की सलाह- गलती से भी इग्नोर न करें 5 लक्षण
नई दिल्ली : वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुसार, यूरोप के कई देशों जैसे ओस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी, स्वीडन और नीदरलैंड्स में सिटाकोसिस (Psittacosis) का प्रकोप बढ़ गया है, जिसे पैरेट फीवर (Parrot Fever) के नाम से भी जाना जाता है।
यूरोप में पैरेट फीवर का कहर
इन देशों में अब तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है और कई मामले सामने आए हैं। यह संक्रमण मुख्य रूप से संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने से होता है। साल 2023 में और 2024 की शुरुआत में सिटाकोसिस के मामलों में वृद्धि देखी गई, खासकर नवंबर-दिसंबर 2023 के बाद से यह तेजी से फैला है।
सिटाकोसिस क्या है?
इसे पैरेट फीवर भी कहा जाता है, क्लैमिडोफिला सिट्टासी नामक बैक्टीरिया के कारण होने वाला एक श्वसन संक्रमण है। यह बैक्टीरिया आमतौर पर पक्षियों में पाया जाता है।
इंसानों में कैसे फैलता है पैरेट फीवर
इंसानों में यह संक्रमण आमतौर पर संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने से फैलता है। पालतू पक्षियों को रखने वाले लोग, मुर्गी पालन करने वाले, पशु चिकित्सक और ऐसे इलाकों में रहने वाले माली जिनके आसपास संक्रमित पक्षी पाए जाते हैं, उन्हें इसका खतरा ज्यादा होता है।
WHO भी हुआ सतर्क
विश्व स्वास्थ्य संगठन इस स्थिति पर नजर रखे हुए है और उपलब्ध जानकारी के आधार पर फिलहाल जोखिम को कम आंकता है
सिटाकोसिस के लक्षण और उपचार
सिटाकोसिस के लक्षणों में बुखार, कंपकंपी, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और सूखी खांसी शामिल हैं। ज्यादातर लोगों में बैक्टीरिया के संपर्क में आने के 5 से 14 दिनों के अंदर लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
पैरेट फीवर का इलाज
सही समय पर एंटीबायोटिक दवाओं का इलाज कारगर होता है और इससे निमोनिया जैसी जटिलताओं से बचा जा सकता है। उचित एंटीबायोटिक उपचार के साथ, सिटाकोसिस से मृत्यु होने की संभावना बहुत कम (100 में से 1 से भी कम) होती है।
इस बात का रखें ध्यान
हालांकि कुछ मामलों में निमोनिया और अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ी है, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बात पर जोर दिया है कि इंसानों के बीच फैलने की संभावना कम है। सही निदान और एंटीबायोटिक उपचार से इस बीमारी को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है।