बिलासपुर : युवती से 14 साल तक दुष्कर्म करने वाले डॉक्टर का डीएनए टेस्ट कराने का आदेश छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दिया है। युवती ने एक बच्ची को जन्म दिया था जिसका पिता उसने डॉक्टर को बताया था। मामले में युवती की शिकायत पर डॉक्टर को गिरफ्तार भी किया गया लेकिन उसने अपना डीएनए देने से मना कर दिया था, जिसके बाद युवती ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने पीड़िता की याचिका पर सुनवाई करते हुए डॉक्टर, पीडि़ता और उसकी बच्ची का डीएनए टेस्ट कराने का आदेश दिया है।
याचिका के मुताबिक बस्तर के एक क्षेत्र में पदस्थ डॉक्टर के पास एक महिला इलाज के लिए जाती थी। उसके साथ 13 साल की उसकी बेटी भी जाती थी। साल 2005 में डॉक्टर ने उसके साथ पहले छेड़छाड़ की फिर मारपीट की और धमकी देते हुए दुष्कर्म किया। साल 2010 में युवती की मध्यप्रदेश में शादी हो गई। इसके बाद भी डरा-धमका कर युवती से मायके आने पर कई बार दुष्कर्म किया गया। इसी बीच साल 2011 में युवती ने एक बच्ची को जन्म दिया। इसे युवती ने डॉक्टर का बताया है। जिसके बाद साल 2019 में मायके आने पर डॉक्टर ने फिर अपने क्लीनिक में उससे दुष्कर्म किया की।
बार-बार की धमकी, मारपीट और बलात्कार से तंग आकर इस बार युवती ने हिम्मत जुटाकर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने पॉक्सो एक्ट, रेप और अन्य धाराओं में डॉक्टर के खिलाफ अपराध दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया। जांच के दौरान पुलिस ने आरोपी का ब्लड सैंपल तथा डीएनए टेस्ट कराने को कहा लेकिन इससे उसने इनकार कर दिया। इस पर पीडि़ता ने हाईकोर्ट में याचिका लगाकर डॉक्टर का डीएनए टेस्ट कराने की मांग की थी। मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में जस्टिस एनके व्यास की बेंच में हुई। कोर्ट ने कहा कि सच का पता लगाने के लिए डॉक्टर का डीएनए टेस्ट जरूरी है। विवेचना अधिकारी को उन्होंने पीडि़ता, उसकी बेटी और डॉक्टर का डीएनए कराने के निर्देश दिये हैं।