बिलकिस केस में 11 दोषियों में से तीन पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, आत्मसमर्पण के लिए समय बढ़ाने की मांग
नई दिल्ली : बिलकिस बानो गैंगरेप मामले के 11 दोषियों में से तीन ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आत्मसमर्पण करने के लिए और समय मांगा है। बीती 8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के दोषियों को रिहा करने के फैसले को पलटते हुए दोषियों को जेल भेजने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को दो हफ्ते के भीतर जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था। अब तीन दोषियों ने आत्मसमर्पण के लिए और समय देने की मांग की है।
चार हफ्ते का समय देने की मांग
दोषियों ने याचिका में मांग की है कि जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए उन्हें चार हफ्ते का समय दिया जाए। याचिका जिन दोषियों ने दायर की है, उनमें शामिल गोविंदभाई ने अपील की है कि ‘उन्हें अपने 88 वर्षीय पिता और 75 वर्षीय माता की देखभाल करनी होती है। वह अपने माता-पिता की देखभाल करने वाले इकलौते व्यक्ति हैं। आवेदक की उम्र करीब 55 साल हैं। गोविंदभाई ने कहा कि वह खुद बुजुर्ग हैं और अस्थमा और खराब स्वास्थ्य से जूझ रहे हैं।
मुख्य न्यायाधीश के पास भेजा गया मामला
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस संजय करोल की पीठ के सामने दोषियों की याचिका लगाई गई थी, लेकिन पीठ ने रजिस्ट्री विभाग को मुख्य न्यायाधीश के सामने मामले को भेजने को कहा। पीठ ने कहा कि जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए और समय मांगा गया है चूंकि इसके लिए पीठ का गठन करना होगा। ऐसे में रजिस्ट्री विभाग को मुख्य न्यायाधीश से आदेश लेने को कहा गया है क्योंकि पीठ का समय रविवार को खत्म हो रहा है, ऐसे में पीठ को पुनर्गठित करना होगा।
साल 2002 के गुजरात दंगों में दोषियों ने बिलकिस के परिवार के सदस्यों की हत्या कर दी थी और बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया था। इस मामले में दोषियों को उम्रकैद की सजा हुई थी। 14 साल जेल की सजा काटने के बाद दोषियों को गुजरात सरकार ने माफी देते हुए जेल से रिहा कर दिया था। दोषियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर हुईं, जिन पर सुनवाई करने के बाद सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्वल भुयन की पीठ ने गुजरात सरकार का फैसला पलट दिया था और दोषियों की रिहाई को गलत बताया था।