चीनी राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग की करोड़ों की सुपरकार देख हैरान रह गए बाइडेन, बोले- वाह, क्या गाड़ी है

वाशिंगटन: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस समय अमेरिका के दौरे पर हैं। कैलिफोर्निया में जिनपिंग ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात की है। इस दौरान जब दोनों नेता बाहर निकले तो बाकी बातों के अलावा कारों के बारे में भी दोनों के बीच गुफ्तगू हुई। अमेरिकी राष्ट्रपति ने चीनी राष्ट्रपति की कार को देखा तो वह इससे काफी प्रभावित नजर आए। शी जिनपिंग ने बाइडेन को अपनी कार दिखाई तो अमेरिकी राष्ट्रपति के मुंह से निकला, ये तो शानदार है।

चीन के राष्ट्रपति चीन में बनी होंगकी कार से चलते हैं। अमेरिका में भी उनकी ये कार साथ गई है क्योंकि ये उनकी आधिकारिक कार है। इसे देखकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन तारीफ किए बिना नहीं रह सके। करीब 19 फीट लंबी और साढ़े 6 फीट चौड़ी ये गाड़ी चीन की सबसे आलीशान और सुरक्षित कारों में से है। इसकी कीमत करीब 6 करोड़ है। जो सेफ्टी फीचर्स जुड़ने पर और भी बढ़ जाती है। इस कार में सेफ्टी के पुख्ता इंतजाम होते हैं। इसके दरवाजे और बॉडी कई तरह के हमलों को रोकने के लिए खास तरह से डिजाइन किए गए हैं। इसमें कई और खास सेफ्टी फीचर्स भी होते हैं, जिनको राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिहाज से पब्लिक नहीं किया जाता है।

खासतौर से राष्ट्रपति के लिए ही बनाई गई है ये कार

राष्ट्रपति के लिए बनाई जाने वाली यह Hongqi L5 कार किसी दूसरे देश में नहीं बेची जाती है, ना ही चीन के आम नागरिक इसे खरीद सकते हैं। इस कार में टर्बो चार्ज्ड इंजन V8 इंजन है जो कि 402 हार्स पॉवर का है। इस कार की ताकत का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि ये महज 8 सेकेंड में 100 किलोमीटर की रफ्तार पकड़ सकती है। कार का वजन भी 3,150 किलोग्राम है। बता दें कि चीन के राष्ट्रपति कुछ साल पहले तक विदेशी दौरे पर अपनी कार साथ लेकर नहीं चलते थे। खुद शी जिनपिंग ने भी 2013 और 2015 के अमेरिकी दौरे पर वहीं की कार में सवारी की थी। चीन की सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी होंगकी ने ये खास कार जिनपिंग के लिए बनाई है तो वह विदेशी दौरे पर भी इसको लेकर जाने लगे हैं। इसके पीछे उनकी चीनी कारों को बढ़ावा देने की भी एक रणनीति है।

कार की चर्चा के अलावा कैलिफोर्निया के वुडसाइड में फिलोली एस्टेट में बाइडन और जिनपिंग की मुलाकात में दोनों नेताओं में आपसी रिश्तों पर भी बातचीत हुई है। बैठक के दौरान जिनपिंग ने बाइडेन से कहा कि चीन ना तो उपनिवेशवाद के रास्‍ते पर चलता है और ना ही किसी देश के साथ उलझने में यकीन रखता है। चीन की अमेरिका को दबाने की या फिर उसकी जगह लेने की कोई मंशा नहीं है। ऐसे में अमेरिका को भी चीन को रोकने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।

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