बढ़ते वायु प्रदूषण पर सियासत तेज, कांग्रेस ने कानून में व्यापक सुधार की मांग की

नई दिल्ली। देश में बढ़ते वायु प्रदूषण पर कांग्रेस ने शुक्रवार को चिंता व्यक्त की है। पार्टी ने वायु प्रदूषण अधिनियम और वायु गुणवत्ता मानकों को सख्त और प्रभावी बनाने के लिए उनमें पूर्ण सुधार का आह्वान किया है। यह मांग राष्ट्रीय राजधानी और देश के अन्य हिस्सों में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के बीच आई है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि वायु प्रदूषण (नियंत्रण और रोकथाम) अधिनियम 1981 में अस्तित्व में आया। इसके बाद अप्रैल 1994 में परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों की घोषणा की गई और बाद में अक्टूबर 1998 में संशोधित किया गया।

उन्होंने कहा, “नवंबर 2009 में आईआईटी कानपुर और अन्य संस्थानों द्वारा गहन समीक्षा के बाद एक अधिक कठोर और व्यापक राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानक (एनएएक्यूएस) लागू किया गया था।” उन्होंने एनएएक्यूएस के प्रेस नोट को साझा करते हुए कहा कि इसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक माने जाने वाले 12 प्रदूषकों को शामिल किया गया है।

‘वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव’

रमेश ने कहा, “अब समय आ गया है कि अधिनियम और एनएएक्यूएस दोनों पर फिर से विचार किया जाए और इसमें संपूर्ण सुधार किया जाए। पिछले एक दशक और उससे भी अधिक समय में स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के प्रभावों को लेकर ठोस सबूत हैं।”

रमेश ने कहा, ‘‘जनवरी 2014 में वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर एक विशेषज्ञ संचालन समिति की स्थापना की गई और इसने अगस्त 2015 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। तब से राष्ट्रीय हरित अधिकरण के अधिकार छीने जाने के साथ-साथ कानून और मानकों दोनों की हमारी प्रवर्तन मशीनरी में कमजोरियां सामने आईं।’’

कांग्रेस नेता ने कहा, “राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम बिना किसी खास प्रभाव के तेजी से आगे बढ़ रहा है। वायु प्रदूषण ज्यादातर नवंबर में सुर्खियों में आता है जब देश की राजधानी दम तोड़ देती है। लेकिन पूरे देश में यह साल भर रोजाना की पीड़ा है।”

दिल्ली की वायु गुणवत्ता शुक्रवार की सुबह “गंभीर प्लस” श्रेणी में गिर गई, एक ऐसा चरण जब प्रदूषण फैलाने वाले ट्रकों, वाणिज्यिक चार पहिया वाहनों और सभी प्रकार के निर्माण पर प्रतिबंध सहित सभी आपातकालीन उपायों को शुरू करना और लागू करना अनिवार्य है।

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