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नवाब मलिक को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बढ़ाई तीन महीने की अंतरिम जमानत

नई दिल्ली : महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नवाब मलिक को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है। शीर्ष अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में मलिक की अंतरिम जमानत गुरुवार को तीन महीने के लिए बढ़ा दी है।

मलिक ने बॉम्बे हाईकोर्ट के 13 जुलाई के उस आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसमें उन्हें चिकित्सा के आधार पर जमानत देने से इनकार कर दिया था। कोर्ट का कहना था कि उन्हें विशेष चिकित्सा सहायता मिल रही है और उनके स्वास्थ्य अधिकार या जीवन अधिकार का किसी भी तरह से उल्लंघन नहीं किया रहा है।

शीर्ष अदालत में न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि मलिक गुर्दे की बीमारी से पीड़ित हैं और 11 अगस्त को दो महीने की अंतरिम जमानत मिलने के बाद से उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है। वहीं, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाए जाने का विरोध नहीं किया।

न्यायिक हिरासत में है एनसीपी नेता

बता दें कि ईडी ने नवाब मलिक को फरवरी 2022 में भगोड़े गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों की कथित गतिविधियों से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार किया था। हाईकोर्ट में मलिक के वकील अमित देसाई ने तर्क दिया था कि उनके मुवक्किल का स्वास्थ्य पिछले आठ महीनों से बिगड़ रहा था और वह क्रोनिक किडनी बीमारी से जूझ रहे हैं।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने किया था इनकार

बॉम्बे हाईकोर्ट का कहना था कि मलिक की मेडिकल रिपोर्ट यह नहीं दर्शाती है कि आवेदक किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है या उसकी दाहिनी किडनी ठीक से काम नहीं कर रही है। इसके विपरीत, रिपोर्ट में कहा गया है कि आवेदक को आगे अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं है।

जांच के मेडिकल बोर्ड का गठन

इतना ही नहीं हाई कोर्ट के निर्देश पर आरोपी की स्वास्थ्य स्थिति की जांच करने के लिए एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया था और इसकी रिपोर्ट से पता चलता है कि उसकी बाईं किडनी छोटी है और दाहिनी किडनी अकेले ही काम कर रही है। अदालत ने कहा कि जैसे का आवेदक ने दावा किया है उनकी दाहिनी किडनी खराब हो गई है या यह केवल 60 प्रतिशत ही काम कर रही है, रिपोर्ट में ऐसा कुछ नहीं है। हाईकोर्ट के मुताबिक रिपोर्ट यह संकेत भी नहीं देती है कि आवेदक किसी ऐसी बीमारी से पीड़ित है, जिसके आधार पर चिकित्सा के आधार पर जमानत देने को उचित ठहराया जा सके।

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