बहुत ज्यादा मीठी बात करने वालों से रहें सावधान, आचार्य चाणक्य ने दी ये सीख

आचार्य चाणक्य ने जीवन में सफल होने के लिए चाणक्य नीति ग्रंथ में कई सीख दी है। आचार्य चाणक्य ने कहा है कि यदि आप अपने दुश्मन का अहित करने की इच्छा रखते हैं तो उससे सदा मीठी बात करनी चाहिए। जैसे शिकारी हिरण को पकड़ने से पहले मीठी आवाज में गीत गाता है। आचार्य ने इस श्लोक में विस्तार से बताया है।

यस्य चाप्रियमिच्छेत तस्य ब्रूयात् सदा प्रियम्।

व्याधो मृगवधं कर्तुं गीतं गायति सुस्वरम्।।

आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में बताया है कि जो मन अपने पाप के कारण किसी का अहित चाहता है, वह पहले सदा मीठी-मीठी बातें करता है। जिस प्रकार हिरण आदि का शिकार करने से पहले शिकारी मधुर आवाज में गीत गाता है, सांप को पकड़ने वाला मस्त होकर बीन बजाता है। इस प्रकार ये दोनों मधुर स्वर के आकर्षण में बंधकर शिकारी के पास खुद आ जाते हैं तो शिकारी उन्हें पकड़ लेता है। जब तक दूसरे में असुरक्षा की भावना है, उसके मर्मस्थल पर आघात नहीं किया जा सकता।

आचार्य चाणक्य के मुताबिक, दुष्ट व्यक्ति अहित करने की इच्छा से मीठी-मीठी बातें करते हैं, ऐसा करके वे पहले रिझाते हैं, फिर हानि पहुंचाते हैं। जुआरी पहले लाभ होने का लालच दिखाता है, जिससे भोलाभाला व्यक्ति उसके जाल में फंसकर बड़ी-सी रकम दांव में लगा देता है और अपनी हानि कर बैठता है।

अत्यासन्ना विनाशाय दूरस्था न फलप्रदाः।

सेवितव्यं मध्यभागेन राजा वह्निर्गुरुः स्त्रियः ।।

इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने कहा है कि राजा, अग्नि, गुरु और स्त्री इनके पास हर समय नहीं रहना चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य को हानि हो सकती है, लेकिन इनसे दूर रहने से भी मनुष्य को कोई लाभ नहीं होता। इन लोगों से व्यवहार बनाते समय व्यक्ति को बहुत सोच-समझकर बीच का रास्ता अपनाना चाहिए। आचार्य चाणक्य ने यहां मध्यम मार्ग का मतलब समझाते हुए कहा है कि व्यक्ति को किसी वस्तु या विचार में न तो अधिक लिप्त होना चाहिए और न ही उसका सर्वथा परित्याग करना चाहिए। गौतम बुद्ध ने इसी मार्ग को अपनाने पर बल दिया था। श्रीकृष्ण इसे ‘समत्व’ कहते हैं। इसमें अति वर्जित है।

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