सभी हिंदू इस्लाम के सच को समझें, एक सदी तक करेंगे इंतजार… पाकिस्‍तान के पीएम काकर के पुराने बयान पर बवाल

इस्‍लामाबाद: पाकिस्‍तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवार उल-हक-काकर का तीन साल पुराना बयान सामने आया है। अब इस बयान के बाद वह आलोचकों के निशाने पर हैं। एक तरफ तो उनके देश में हिंदुओं को लाचारी में दिन गुजारने पड़ रहे हैं तो साल 2020 में काकर कह रहे थे कि सभी हिंदुओं को इस्‍लाम कबूल कर लेना चाहिए। उनका बयान तब सामने आया है जब विदेश मंत्री जलील अब्‍बास जिलानी ने हैरान करते हुए दावा किया था कि हिंदू धर्म पाकिस्‍तान में ही पनपा है। हलांकि जिलानी के बयान पर कई लोग उनका मजाक भी उड़ा रहे हैं।

क्‍यों दिया यह बयान

पाकिस्‍तानी पीएम काकर ने 25 सितंबर 2020 को उस समय हिंदुओं को लेकर टिप्‍पणी की थी जब संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा (उंगा) का सत्र चल रहा था। दुनिया उस समय कोविड-19 महामारी से जूझ रही थी लेकिन पाकिस्‍तान के नेता अपना प्रपोगेंडा फैलाने में लगे हुए थे। महासभा के दौरान भारत का प्रतिनिधिदल उस समय वॉकआउट कर गया जब तत्‍कालीन पाकिस्‍तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने संबोधन में फिर से भारत पर हमला बोलना शुरू किया। एक भारतीय जर्नलिस्‍ट ने जब इस बात की जानकारी एक ट्वीट के जरिये दी तो काकर ने अजब-गजब तरीके से जवाब देना शुरू किया।

कश्‍मीर का राग

काकर ने लिखा, ‘हॉल से जाने के बजाय अगर भारतीय कश्‍मीर से निकलेंगे तो दक्षिण एशिया में शांति आएगी।’ काकर यहीं नहीं रुके और उन्‍होंने कुछ और ट्वीट में अपनी हताशा का इजहार किया। काकर ने एक और ट्वीट में लिखा, ‘ धरती पर दुनिया की कोई भी ताकत पाकिस्‍तान को मिटा नहीं सकती है।’ उन्‍होंने आगे लिखा, ‘ हम इंतजार कर रहे हैं कि सभी हिंदू इस्लाम के सच को समझें और हम इसके लिए एक सदी तक इंतजार करेंगे, हमें कोई जल्दी नहीं है।’

पाकिस्‍तानी विदेश मंत्री का बयान

जहां काकर हिंदुओं को इस्‍लाम कबूल करवाने के सपने देख रहे हैं तो उनके विदेश मंत्री कुछ अलग ही बयान दे रहे हैं। पाकिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री जलील अब्बास जिलानी ने न्यूयॉर्क में एशिया सोसायटी शिखर सम्मेलन में हिंदू धर्म पर बड़ा बयान दिया। जलील अब्बास जिलानी ने हिंदू धर्म को एक बहुत ही महत्वपूर्ण धर्म बताया और कहा कि इसका जन्म पाकिस्तान में हुआ था। नकदी संकट से जूझ रहे इस देश में पर्यटन को आकर्षित करने के लिए जिलानी ने यह चाल चली और जिसमें उन्‍होंने पाकिस्तान को हिंदू और बौद्ध धर्म से जोड़ने की कोशिशें कीं।

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