स्वाति और विशाखा नक्षत्र में पधारेंगे, गणपति बप्पा

रक्षाबंधन, श्री कृष्ण जन्माष्टमी, बीतने के साथ विघ्नहर्ता गणेश, गजानन, लंबोदर की उपासना के पर्व की आहट आने लगी है। इस दौरान सुख, समृद्धि और ऐश्वर्या प्राप्ति के लिए शहर में जगह-जगह घरों और पंडालों मे गणेश जी विराजित होंगे।इस साल गणेश महोत्सव पूरे 10 दिनों तक चलेगा। इसके लिए गणेश भक्तों ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है।

ज्योतिषाचार्य के अनुसार गणेश जी का जन्म भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मध्यान काल के स्वाति नक्षत्र सिंह लग्न में हुआ था। इस वर्ष 10 दिनों तक चलने वाला गणेश उत्सव 19 सितंबर से प्रारंभ होकर 28 सितंबर तक चलेगा। इस दिन रवि योग के साथ वैधृति योग और दूसरा दोपहर 1:48 तक स्वाति नक्षत्र उसके बाद विशाखा नक्षत्र शुरू होकर देर रात तक रहेगा। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का आरंभ 18 सितंबर दोपहर 12:39 से 19 सितंबर दोपहर 1:45 तक यह तिथि रहेगी। गणेश स्थापना का शुभ समय प्रातः 11:07 से दोपहर 1:34 तक होगा। इस दिन भद्रा भी रहेगी। भद्रा का आरंभ सुबह 6:04 से दोपहर 1:45 तक रहेगा। लेकिन भगवान गणेश का एक नाम विघ्न विनाशक भी है। और पाताल लोक की भद्रा है। इसलिए गणेश स्थापना भाद्र की वजह से प्रभावित नहीं होगी।

चतुर्थी तिथि पर चंद्र दर्शन निषेध हैं

गणेश चतुर्थी के दिन यदि जातक चंद्रमा के दर्शन करते हैं । तो यह शास्त्रों में निषेध है। इस दिन चंद्रमा को देखने वाले जातक को झूठी, चोरी का कलंक का आरोप लगता है। इसलिए इस दिन चंद्र दर्शन ना करें, दर्शन न करने का समय रात्रि 9:05 से 9:20 तक है। इस दिन बड़ी संख्या में कोई घर खरीदेगा। तथा कोई नया काम शुरू करेगा।

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