कब है हरतालिका तीज, जानिए पूजा से जुड़ी ये जरूर बातें
हिंदू धर्म में प्रतिवर्ष की त्योहार आते हैं। इन त्योहारों का बहुत महत्व होते हैं। वहीं, हरियाली तीज का व्रत बेहद खास माना जाता है। हरियाली तीज और कजरी तीज की तरह ही इस व्रत को रखा जाता है। हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत किया जाता है। इस व्रत में महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन सुखी होता है। साथ ही संतान प्राप्ति होती है।
हरतालिका तीज महत्व
कुंवारी कन्याएं यह व्रत सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए रखती हैं। माना जाता है कि इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने किया था, जिसके फलस्वरूप उन्हें पति के रूप में भगवान शिव मिले। इस दिन आपको पूजा के समय माता पार्वती की आरती भी करनी चाहिए। सभी व्रतों में से हरतालिका तीज का व्रत काफी कठिन माना जाता है। इस दिन कोई भी ऐसी गलती नहीं करनी चाहिए, जिससे आपका व्रत अधूरा रह जाए।
कब है हरतालिका तीज
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 17 सितंबर रविवार को हो रही है। यह तिथि 18 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार, इस बार हरतालिका तीज का व्रत 18 सितंबर सोमवार को रखा जाएगा।
हरतालिका तीज व्रत नियम
हरतालिका तीज के दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं। इस दिन लाल रंग के वस्त्र धारण किए जाते हैं। हरतालिका तीज की पूजा के लिए चौकी बिछाकर मंडप तैयार कर शिवजी, मां पार्वती और भगवान गणेश की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर धूप, दीप, सिंदूर, फल, नारियल और श्रृंगार का सामान चढ़ाकर पूरे विधि-विधान से पूजा करें। इसके बाद हरतालिका तीज की कथा सुनें और आरती करें।
मां पार्वती की आरती
जय पार्वती माता, जय पार्वती माता
ब्रह्म सनातन देवी, शुभ फल की दाता
जय पार्वती माता
अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता
जय पार्वती माता।
सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा
देव वधु जहं गावत नृत्य कर ताथा
जय पार्वती माता
सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता
जय पार्वती माता।
देवन अरज करत हम चित को लाता
गावत दे दे ताली मन में रंगराता
जय पार्वती माता
श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता
सदा सुखी रहता सुख संपति पाता
जय पार्वती माता।