OMG 2 Review: समाज को आईना दिखाती अमित राय की बेहतरीन फिल्म, पंकज त्रिपाठी और यामी गौतम की जिरह ने जीते दिल
मुंबई : पहले तो ये कि फिल्म ‘ओएमजी 2’ यानी कि ‘ओह माय गॉड 2’ अक्षय कुमार की फिल्म नहीं है। ये फिल्म है पंकज त्रिपाठी और यामी गौतम की। अभिनेता अक्षय कुमार यहां उत्प्रेरक की भूमिका में हैं। कैटलिस्ट समझते हैं ना। और, उनके चक्कर में ही ये फिल्म केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड यानी कि सेंसर बोर्ड के निशाने पर भी आई। फिल्म देखने के बाद अगर कोई एक लाइन का रिव्यू इस फिल्म का मुझसे पूछे तो मैं तो यही कहूंगा ये फिल्म देखने वाली परीक्षण समिति यानी सेंसर बोर्ड की एग्जामिनिंग कमेटी के सभी सदस्यों को तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त कर देना चाहिए। सेंसर बोर्ड में सिनेमा की समझ रखने वालों लोगों को रखा जाना चाहिए जो बदलते समाज के बदलते आदर्शों और बदलती सामाजिक जरूरत को समझ सकते हों और इस दिशा में प्रयास करने वाले सिनेमा को प्रोत्साहित करने की सोच रखते हों।
बदलते समय की सच्ची पुकार
फिल्म ‘ओएमजी 2’ बदलते समय की सच्ची पुकार है। जो सत्य है वही सुंदर है जो सुंदर है वही शिव है। सत्यम् शिवम् सुंदरम् की अवधारणा भी यही है। बहुत हल्ला मचता है जब हम नकली समाज की नकली कहानियों पर बनी नकली फिल्में देखते हैं जिनमें दर्शकों को सोचने की दिशा बदलने जैसी कोई बात नहीं होती है और जब बात होती है तो ‘ओएमजी 2’ जैसी फिल्में बनती हैं जिनकी रिलीज के लिए इनके निर्माताओं को पापड़, पूड़ी, पराठे सब बेलने पड़ते हैं। फिल्म को ‘केवल वयस्कों के लिए’ जैसा प्रमाण पत्र देने की जरूरत भी कतई नहीं है। फिल्म सभी किशोरों को देखनी चाहिए और हो सके तो तमाम स्कूलों को अपने आठवीं कक्षा के बाद के सारे बच्चों को ये फिल्म समूह में ले जाकर दिखानी चाहिए।
यौन शिक्षा की जरूरत समझाती फिल्म
एक स्कूल के बहाने ही सही लेकिन सच्ची सामाजिक उद्विगनताओं की बात करती है फिल्म ‘ओएमजी 2’। एक किशोरवय का बच्चा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तैयारियों के बीच अपनी पसंदीदा छात्रा से अलग कर दिया जाता है। छात्रा के दोस्त इस बच्चे का मजाक उड़ाते हैं उसके लिंग के आकार को लेकर उसके मन में शंकाओं का निर्माण कर देते हैं और बच्चा अब पूछे भी तो किससे कि सामान्य लिंग का आकार प्रकार कैसा होता है? वह नीम हकीमों, जड़ी बूटी बेचने वाले बाबाओं के पास भटकता है और फिर एक मेडिकल स्टोर से नकली वियाग्रा खाकर बीमार हो जाता है। स्कूल उसकी इस हरकत को सामाजिक अपराध की संज्ञा देता है। उसके बालमन को समझने की कोशिश कोई नहीं करता। लेकिन, शिव की कृपा होती है। बच्चे का पिता स्कूल के संचालकों, नीम हकीमों, जड़ी बूटी विक्रेताओं और मेडिकल स्टोर संचालक के साथ साथ अपने ऊपर भी मुकदमा कर देता है। असली फिल्म यहां से शुरू होती है।
पूरे परिवार के देखने लायक फिल्म
फिल्म ‘ओएमजी 2’ न्यू मिलेनियल्स कहलाने वाले हर बच्चे के अवश्य देखने लायक फिल्म है। ये फिल्म है उस देश में यौन शिक्षा को वर्जित मानने वाली शिक्षा पद्धति पर जिस देश में कामसूत्र लिखा गया और जिस देश में रचित पंचतंत्र की कहानियों में काम शिक्षा का उल्लेख हुआ। उसी देश में विदेशी शिक्षा पद्धति से चलने वाला शहर का एक नामी स्कूल बच्चे पर लांछन लगाता है। शिवगण को विष पीने को बाध्य करता है। और, ये शिवगण भी इस दौर में आकर रात को महाकाल का प्रसाद पीने के साथ साथ फिल्म ‘गदर’ का गाना भी गाता है। अपने विषय, अपने निर्देशन, अपनी पटकथा और अपने समग्र प्रभाव में फिल्म ‘ओएमजी 2’ एक कमाल की फिल्म है। फिल्म का संगीत कमजोर निकला नहीं तो ये फिल्म फाइव स्टार पाने लायक फिल्म भी हो सकती थी।