तुम लोगों की भाभी है- जब रिचा शर्मा को घूरते अरशद वारसी से बोले संजय दत्त, एक्टर ने सुनाया किस्सा
मुंबई : ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ और ‘लगे रहो मुन्नाभाई’ में हर किसी ने ‘सर्किट’ और ‘मुन्नाभाई’ की दोस्ती को खूब पसंद किया था। जहां अरशद वारसी, सर्किट के रोल में थे, तो वहीं संजय दत्त ‘मुन्नाभाई’ बनकर छा गए थे। लेकिन जिस तरह की यारी-दोस्ती सर्किट और मुन्नाभाई के बीच फिल्मी पर्दे पर दिखी थी, वैसा ही याराना अरशद वारसी और संजय दत्त के बीच असल जिंदगी में भी है। संजू बाबा के लिए अरशद वारसी एकदम भाई जैसे हैं। दोनों हर सुख-दुख में एक-दूसरे के साथ खड़े रहते हैं। 6 अगस्त को फ्रेंडशिप डे के मौके पर अरशद वारसी ने संजय दत्त के साथ दोस्ती के बारे में बात की।
Arshad Warsi ने बताया कि उनकी Sanjay Dutt से पहली बार कैसे मिले थे, और कैसे उनकी दोस्ती की शुरुआत हुई। अरशद वारसी और संजय ने राजकुमार हिरानी की कई फिल्मों में साथ काम किया, लेकिन उनकी दोस्ती इससे भी पहले से है। इंटरव्यू में अरशद ने संजय दत्त संग दोस्ती के कुछ यादगार लम्हे और किस्से शेयर किए।
1981 से दोस्ती, नाइट क्लब का वो किस्सा
उन्होंने बताया, ‘संजू को यह याद भी नहीं होगा। उनसे में पहली बार 1981 में ‘रॉकी’ की रिलीज से पहले मिला था। मैं अकसर ही एक नाइट क्लब में जाया करता था, और वहां संजू भी आते थे। एक रात वहां रिचा शर्मा आईं और हम सभी उन्हें घूरने लगे कि कितनी खूबसूरत हैं। तब संजू ने कहा कि तुम लोगों की भाभी है।
रिचा शर्मा से संजय दत्त की शादी
मालूम हो कि रिचा शर्मा से बाद में संजय दत्त ने शादी कर ली थी। दोनों ने शादी से पहले कुछ साल तक एक-दूसरे को डेट किया था। रिचा शर्मा एक एक्ट्रेस थीं, और उन्होंने कुछ फिल्में भी की थीं। लेकिन 1996 में उनकी मौत हो गई थी।
‘अरशद मेरे भाई जैसा, एक-दूसरे पर निर्भर’
वहीं संजय दत्त ने भी अरशद से जुड़े मजेदार किस्से शेयर किए और बताया कि उनका रिश्ता कितना गहरा है। एक्टर ने कहा कि ‘मुन्नाभाई’ जैसी फिल्मों में साथ काम करके उनका और संजय दत्त का बॉन्ड स्ट्रॉन्ग ही हुआ है। वह बोले, ‘अरशद सिर्फ एक को-स्टार ही नहीं, बल्कि वह मेरा भाई है, जो हमेशा रहेगा। हमारा रिश्ता सिर्फ सिल्वर स्क्रीन तक सीमित नहीं है। ‘मुन्ना भाई’ जैसी फिल्मों में साथ काम करने से हमारा रिश्ता और मजबूत हुआ है। सेट पर और बाहर उसके साथ बिताए हर पल को मैं संजोकर रखता हूं। हमारे बीच ऐसी दोस्ती है, जहां हम हमेशा एक-दूसरे पर निर्भर रह सकते हैं।’