गोरखा युवकों के भारत को छोड़कर रूसी सेना में शामिल होने पर नेपाल के उड़े होश, लगाई गुहार

काठमांडू: नेपाली नागरिकों के रूसी सेना में शामिल होने की खबरों के बीच प्रचंड सरकार ने देश के नागरिकों से आग्रह किया है कि वे उन सेनाओं के अलावा किसी अन्य विदेशी सेना में शामिल न हों जिनके साथ हिमालयी राष्ट्र का द्विपक्षीय समझौता है। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि उसका ध्यान उन समाचार रिपोर्टों और सोशल मीडिया पोस्टों की ओर आकर्षित किया गया है जिनमें कहा गया है कि नेपाली नागरिकों को युद्धग्रस्त देशों में विदेशी सेनाओं द्वारा भर्ती किया गया है।

नेपाली नागरिकों के यूक्रेन की सेना में शामिल होने की खबरें थीं, जबकि कई अन्य लोगों ने भी सोशल मीडिया पर रूसी सेना में भर्ती होने की बात स्वीकार की थी। मंत्रालय ने अपने नागरिकों से झूठी जानकारी के आधार पर युद्धग्रस्त देशों में सुरक्षा संबंधी कार्यों के लिए नहीं जाने का भी आग्रह किया। यह तत्काल पता नहीं चल पाया है कि कितने नेपाली नागरिक दोनों सेनाओं के साथ-साथ भाड़े के समूहों में शामिल हुए हैं।

भारत में ‘अग्निपथ’ के कारण रुकी भर्ती

विदेश मंत्रालय ने यह भी बताया कि सरकार के पास कुछ मित्र देशों को छोड़कर नेपाली नागरिकों को विदेशी सेनाओं में शामिल होने की अनुमति देने की कोई नीति नहीं है, जो भर्ती के संबंध में पारंपरिक समझौते के तहत नागरिकों को अपनी राष्ट्रीय सेनाओं में भर्ती करते रहे हैं। नेपाल का भारत और ब्रिटेन की सेनाओं के साथ औपचारिक समझौता है। मंत्रालय ने सभी से ऐसी गतिविधियों में शामिल जोखिमों और बचाव कार्य में आने वाली कठिनाइयों के बारे में जागरूक रहने का आग्रह किया।

इससे पहले भारत की अग्निपथ योजना के विरोध में नेपाल ने गोरखा सैनिकों की भर्ती को रोक दिया था। नेपाल के भारत में राजदूत शंकर प्रसाद ने कहा है कि भर्ती प्रक्रिया को रोका गया है लेकिन यह मामला अभी पूरी तरह से बंद नहीं हो गया है। उन्‍होंने कहा कि हम अग्निपथ की बजाय पुराने सिस्‍टम को लागू करने की मांग कर रहे हैं। गोरखा सैनिक भारतीय सेना में अंग्रेजों के समय से ही भर्ती किए जाते रहे हैं। उस दौरान गोरखा सैनिकों को लेकर एक समझौता भी हुआ था।

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