इमानदारी की सजा : IPS बेटे के तबादले पर छलका पिता का दर्द, कहा – वह खुद 40 साल से बीजेपी में हैं, संघ के कार्यकर्ता रहे,…अब गांवों में बीजेपी को वोट नहीं मिलेगा…
अंबेडकर नगर। बरेली में एसएसपी रहे प्रभाकर चौधरी के ट्रांसफर को लेकर उनके पिता पारस नाथ चौधरी ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि कांवड़िए जिस रास्ते पर जाने की जिद कर रहे थे, यदि चले जाते तो 25 से अधिक लोग मारे जाते. मेरे बेटे प्रभाकर ने लाठी चलवाकर कोई उत्पीड़न नहीं बल्कि उनकी जान बचाई है. लेकिन जिम्मेदारी और इमानदारी से काम करने के लिए उसे सजा मिली है. यह कहते हुए प्रभाकर चौधरी के पिता की आंखों में उनके दिल का दर्द छलक उठा. यह सरकार का गलत कदम है. इससे संदेश अच्छा नहीं गया है. उन्होंने कहा कि वह खुद करीब 40 साल से बीजेपी में हैं. संघ के कार्यकर्ता रहे हैं. वह कोई बड़े नेता तो नहीं हैं, लेकिन वह ऐलान करते हैं अब 20-25 गांवों में अब बीजेपी को वोट नहीं मिलेगा. बार बार ट्रांसफर पर प्रभाकर चौधरी के पिता ने कहा कि उन्हें इमानदारी की सजा मिलती है. वह किसी की सुनते नहीं है.
अंबेडकर नगर स्थित अपने पैत्रिक गांव में रह रहे प्रभाकर चौधरी के पिता पारस नाथ चौधरी ने कहा कि जब बेटे के ट्रांसफर की खबर उन्होंने सुनी तो उस रात उन्होंने खाना नहीं खाया. प्रभाकर चौधरी के पिता ने कहा कि इस घटना से पहले प्रभाकर ने हिन्दू पक्ष और मुस्लिम पक्ष दोनों को बैठाकर समझाया था. इसमें मुस्लिम पक्ष तो मान गया, लेकिन हिन्दू पक्ष नहीं मान रहा था. कावंड़ियों के पास कट्टा व अन्य हथियार थे. ये लोग फायरिंग कर रहे थे. वह जिस रास्ते से वो जाना चाहते थे, यदि पुलिस छोड़ देती तो लाशों के ढेर लग जाते.
उस समय प्रभाकर ने अपने विवेक का इस्तेमाल किया और किसी तरह की अनहोनी को रोकने के लिए लाठी चार्ज कराया. प्रभाकर चौधरी के पिता ने कहा कि इस लाठी चार्ज से कुछ लोगों को भले ही चोट लगी हो, लेकिन किसी की जान नहीं जाने पायी. लेकिन यदि प्रभाकर पीछे हट जाते तो स्थिति कुछ और ही होती. कायदे से सरकार को उनके इस काम के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए था, लेकिन सरकार ने बहुत बड़ी गलती की है.
यह सरकार का गलत कदम है. इससे संदेश अच्छा नहीं गया है. उन्होंने कहा कि वह खुद करीब 40 साल से बीजेपी में हैं. संघ के कार्यकर्ता रहे हैं. वह कोई बड़े नेता तो नहीं हैं, लेकिन वह ऐलान करते हैं अब 20-25 गांवों में अब बीजेपी को वोट नहीं मिलेगा. बार बार ट्रांसफर पर प्रभाकर चौधरी के पिता ने कहा कि उन्हें इमानदारी की सजा मिलती है. वह किसी की सुनते नहीं है.
वह गरीबों पर पीड़ितों की सुनते हैं. इसलिए नेता लोग लगातार उनकी शिकायत करते रहते हैं. इसकी वजह से उनका ट्रांसफर भी होता रहता है. चूंकि पुलिस की नौकरी है, इसलिए यह कोई बड़ी बात नहीं है. लेकिन इस घटना के बाद हुए ट्रांसफर ने उन्हें दुखी किया है. उन्होंने कहा कि उन्हें गर्व है कि प्रभाकर उनका बेटा है.