दीप अमावस्या पर दक्षिण दिशा में रखें आटे का दीपक, पितर हो जाएंगे खुश

इस वर्ष आषाढ़ अमावस्या 17 जुलाई को है। इसे दीप अमावस्या या रोशनी की सुबह कहा जाता है। इस दिन घर पर दीपक जलाए जाते हैं और रंगोली सजाकर पूजा-अर्चना की जाती है। इस पूजा में आटे का दीपक चढ़ाया जाता है।

अमावस्या के दिन पितरों के लिए तर्पण और दान-पुण्य किया जाता है। जिस तरह आषाढ़ अमावस्या में दीप पूजन का महत्व है। उसी प्रकार हर अमावस्या की अलग-अलग विशेषताएं हैं। यह पूजा आने वाले श्रावण के स्वागत की तैयारी की तरह है। इस दिन आटे या बाजरे का दीपक बनाकर दक्षिण दिशा में रखना चाहिए। यह दीपक दीप पूजन और पितरों की पूजा का उद्देश्य पूरा करता है।

दीप अमावस्या कब है?

पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि 16 जुलाई को रात 10 बजे पर शुरु होगी। अमावस्या तिथि 17 जुलाई को सूर्योदय होगी। इसलिए आषाढ़ अमावस्या या दीप अमावस्या 17 तारीख को मनाई जाएगी। अमावस्या तिथि 17 जुलाई को रात 12 बजे समाप्त होगी। आषाढ़ अमावस्या सोमवार के दिन पड़ने से यह दीप अमावस्या सोमवती अमावस्या होगी। इसलिए यह अमावस्या विशेष है।

दीप अमावस्या कैसे मनाएं?

दीप अमावस्या के दिन घर में रखें दीपकों को साफ किया जाता है। इसके बाद मेज पर एक साफ कपड़ा बिछाएं और दीपक को रखें। इन्हें तिल के तेल या घी से जलाया जाता है। इन दीपकों की फूलों और नैवेद्य से पूजा की जाती है। कई घरों में इस दिन आटे का दीपक प्रसाद के रूप में बनाया जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button