पांच शुभ योग में मनाई जाएगी हरियाली व सोमवती अमावस्या
पांच शुभ संयोग में सावन का दूसरा सोमवार, 17 जुलाई अमावस्या तिथि को है। इसलिए इसे सोमवती अमावस्था व भी कहा जायेगा। इस दिन पुष्य नक्षत्र भी है। और 18 जुलाई से पुरुषोत्तम मास की भी शुरुआत हो रही है। यह दिन पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए होगा। पितरों के लिए पिंडदान, तर्पण, पीपल सहित अन्य पौधों का रोपण करने से सुख-समृद्धिि बढ़ेगी।
हरियाली अमावस्या का शुभ संयोग भी घटित हो रहा है। इस दिन पूर्वजों के निमित्त पिंड दान एवं दान पुण्य किसी पवित्र नदी में स्नान करने के बाद किया जाता है। साथ ही हरियाली अमावस्या का पर्व जीवन में पर्यावरण के महत्व का भी पर्व होता है। मान्यता है। हरियाली अमावस्या के दिन पौधारोपण करने से जीवन के सारे कष्ट दोष दूर हो जाते हैं। इस दिन किसान अपने खेती में उपयोग करने वाले उपकरणों की पूजा कर ईश्वर से अच्छी फसल की कामना करते हैं।
ज्योतिषाचार्य डा सतीश सोनी के अनुसार शिव और पितरों को प्रसन्न करने के लिए सावन माह का दूसरा सोमवार सोमवती अमावस्या और हरियाली अमावस्या के साथ द्वितीय मंगला गौरी व्रत के साथ सूर्य की कर्क संक्रांति में मनाया जाएगा। इस दिन हरियाली अमावस्या और सोमवती अमावस्या के संयोग से पुष्कर नामक योग बन रहा है। सूर्य देव इस दिन मिथुन राशि को छोड़कर कर्क राशि में प्रवेश करेंगे। जिसे कर्क संक्रांति कहा जाएगा। ऐसे शुभ संयोग में भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करना श्रेष्ठ कारी रहेगा।
अमावस्या तिथि का प्रारंभ 16 जुलाई की रात को 10:08 से प्रारंभ होकर 18 जुलाई कि सुबह तक रहेगा। इस दिन रुद्राभिषेक तथा वृक्षारोपण एवं पितरों का तर्पण करने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 5:34 से 7:17 तक तथा 9:01 से 10:44 तक वही अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:00 से 12:55 तक रहेगा। इस अवसर पर शहर में अनेक संगठन बड़ी संख्या में पौधारोपण कर भगवान भोलेनाथ की भक्ति करेंगे। इसके साथ ही 18 जुलाई से पुष्य नक्षत्र में अधिक मास पुरुषोत्तम मास का श्रेष्ठ समय प्रारंभ होगा।
क्या करें
सोमवती हरियाली अमावस्या पर पंचवली निकालें यह सब कुत्ते, गाय, कौवा, चींटी, मछलियों को भोजन हैं। पीपल के पेड़ की पूजा करें, भोलेनाथ की प्रसन्नता के लिए रुद्राक्ष अभिषेक करें, पित्र शांति के लिए पित्र सूक्त का पाठ करें।