ये कैसा उत्सव : मैदान में बारिश का पानी लबालब, स्कूल में पीने का पानी तक नसीब नहीं, कक्षाओं में साफ-सफाई भी नहीं; बच्चे कीचड़ में खेलने में मस्त

रायपुर/जीपीएम। छत्तीसगढ़ में सोमवार को नए शिक्षासत्र की शुरुआत के साथ ही सभी सरकारी स्कूल खुल गए हैं। ऐसे में सभी स्कूलों में प्रवेश उत्सव मनाया गया। इस दौरान राजधानी रायपुर के कई स्कूलों में गंदगी और कीचड़ का आलम दिखा। मंगलवार को भी कमोबेश वहीँ स्थिति देखी जा रही हैं। कई स्कूलों में छतों से कक्षाओं में पानी टपक रहा तो कहीं पर दीवारों पर लटके टूटे फूटे बिजली बोर्ड के चलते करंट की झनझनाहट तक दौड़ रही हैं। धरसींवा ग्रामीण के कई स्कूलों में हालत दयनीय हैं। भरे बरसात में कई स्कूलों की पानी टंकियां सूखी थी तो कई स्कूलों में पिने का पानी भी नहीं था।

राजधानी से सैकड़ों किलोमीटर दूर स्थित गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले में एक स्कूल ऐसा भी था, जो खुला जरूर, लेकिन परिसर तालाब बना हुआ था। कक्षाओं में सफाई तक नहीं थी और मंच क्षतिग्रस्त होकर टूट चुका था। इन सबके बीच बच्चे उसी कीचड़ में और मंच के पास जान जोखिम में डालकर खेल रहे थे। स्कूल प्रबंधन ने इस पूरे मामले पर चुप्पी साध ली। हालांकि इतना जरूर कहा कि, मंच को पूरी तरह से तुड़वाने की कार्रवाई जल्द करेंगे।

जिले के पेंड्रा में अड़भार गांव के मुख्य मार्ग पर स्थित शासकीय प्राथमिक स्कूल की तस्वीरों ने प्रशासन के दावों की पोल खोल दी। स्कूल परिसर में मैदान तालाब नजर आ रहा था। बारिश के दौरान पेड़ गिरने से मंच क्षतिग्रस्त हो गया था। स्कूल में प्रवेश करने का रास्ता ही नहीं था। गेट से लेकर कक्षाओं तक सिर्फ पानी ही पानी था। कक्षाओं में भी सब अव्यवस्थित हालत में पड़ा था। छोटे-छोटे बच्चे इन सब से अनजान वहीं आसपास खेलते-कूदते नजर आए। स्कूल के अन्दर गंदगी और अव्यवस्था का आलम देखने को मिला।

सूबे के कुछ और जिलों से भी लापरवाही की खबरें लगातार आ रही हैं। शाला प्रवेशोत्त्सव में मशगूल प्रबंधन को बच्चों के भविष्य की जरा भी परवाह होगी तो जल्द से जल्द स्कूलों की समस्याएं दूर करने में ध्यान देना होगा। अन्यथा ये संस्थाए कभी भी गंभीर हादसे को आमंत्रित करती रहेंगी।

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