भगवान सूर्य को समर्पित तिथियों में सबसे अहम है भानु सप्तमी। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार माना गया है कि भानु सप्तमी के दिन व्रत रखने से व्यक्ति को अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है और सभी प्रकार की बीमारियां दूर रहती हैं। हिंदू पंचांग के मुताबिक साल के प्रत्येक महीने की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को भानु सप्तमी का पर्व मनाया जाता है।
इस साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 25 जून को है, इसलिए इस दिन भानु सप्तमी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन रविवार भी है, इसलिए इस दिन का पूजा का भक्तों को विशेष फल मिलेगा। पंडित चंद्रशेखर मलतारे ने बताया कि इस साल भानु सप्तमी की पूजा का महत्व क्या है।
भानु सप्तमी का महत्व
भानु सप्तमी के शुभ संयोग में सूर्य देव को अर्घ्य देने और उनकी पूजा करने से जीवन में चल रहे संकट कम होते हैं। सूर्य हमारी आत्मा, निरोगता और सम्मान का कारक होता है। इस व्रत को करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है। इससे जातक को सुख समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति भी होती है। वंश वृद्धि के लिए सूर्य की उपासना बहुत लाभकारी मानी गई है।
अगर संतान प्राप्ति में बाधा हो, तो ये व्रत अवश्य करना चाहिए। अगर कोई बीमारी ठीक नहीं हो रही हो, तो इस दिन जल में लाल चंदन डालकर सूर्य को अर्घ्य देने से गंभीर रोग भी समाप्त हो जाते हैं। सूर्य की उपासना से कुंडली में मंगल के अशुभ प्रभाव में भी कमी आती है।
इस दिन करें दान
भानु सप्तमी के दिन दान करने का भी महत्व बताया गया है। माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान सूर्य देव शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं और इनसे जुड़े दोष दूर होते हैं। अगर आप राशि के अनुसार दान करते हैं तो भगवान सूर्य देव अपने भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं।
लेकिन जिनकी सिंह राशि हो, कुंडली में सूर्य अच्छी स्थिति में हों या योगकारक हों, तो सूर्य का दान नहीं करना चाहिए। अगर सूर्य अष्टम भाव में हों, या अशुभ स्थिति में हों, तो उन्हें शांत करने के लिए सूर्य से जुड़ी चीजें जैसे गुड़, गेहूं, पीली सरसों, केसर, अन्न आदि का दान करना चाहिए।