CG – फ़र्ज़ी दिव्यांगों की खैर नहीं : जांच के लिए GAD का कड़ा पत्र, आरोपों के घेरे में 18 कर्मियों की रिपोर्ट तलब, दो साल की सजा के साथ एक लाख का जुर्माना भी संभव…

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार फ़र्ज़ी दिव्यांगता प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने वालों के खिलाफ अब सख्त हो गयी है। हाईकोर्ट में दायर याचिका के आधार पर दिव्यांगता की जांच के निर्देश को लेकर जीएडी ने एक बार फिर पत्र जारी कर सभी कमिश्नर, एचओडी और कलेक्टरों के अलावे जिला पंचायत सीईओ को निर्देश दिया है कि वो शासकीय सेवकों के दिव्यांगता की जांच मेडिकल बोर्ड से तय समय सीमा के भीतर करायें। इसके लिए जीएडी ने तारीख तय कर जांच के निर्देश दिये हैं।

आदेश में कहा गया है कि वर्तमान में सभी विभागों द्वारा रिक्त पदों पर भर्ती की कार्यवाही शहद स्तर पर की जा रही है। भर्ती प्रक्रिया में दिव्यांगजन हेतु आरक्षित कोटे से शासकीय सेवा में चयन होने पर संबंधित अभ्यर्थियों के दिव्यांग प्रमाण पत्र का छत्तीसगढ़ शासन, समाज कल्याण विभाग के पत्र कमांक 938 /555/2019 / 26 दिनांक 08.05.2019 में दिए गए निर्देश के तहत मेडिकल बोर्ड से सूक्ष्मता से जांच कराई जाये तथा जांच उपरात दिव्यांग प्रमाण पत्र सही पाये जाने पर ही शासकीय सेवा में ज्वाइनिंग कराया जाये।

फर्जी / गलत दिव्यांगजन प्रमाण पत्र के आधार पर शासकीय सेवा में नियुक्ति अथवा नियुक्ति पश्चात कार्यरत शासकीय सेवको एवं पिटिशन में उल्लेखि 18 शासकीय सेवकों जिनके प्रमाण पत्र जांउ उपरांत मेडिकल बोर्ड से फर्जी गलत पा जाते ता उन्हें सेवा से पृथक (बर्खास्त करते हुए सामान्य प्रशासन विभाग विभाग के परिपत्र कमांक सी / 3-22/93/3/एक दिनांक 30 अगस्त 1993 एवं दिव्यांग जन अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 91 में दिये गये प्रावधान अनुसार आवश्यक कार्यवाही किया जाये।

आदेश में ये भी कहा गया है कि दिनांक 1 जनवरी, 2019 के पश्चात एवं शासकीय सेवा में नियुक्ति के पूर्व मेडिकल बोर्ड से दिव्यांग प्रमाण पत्र/ यूडीआईडी कार्ड का अनिवार्यत परीक्ष/ सत्यापन कराया जाये। विषयाकित याचिका में उल्लेखित 18 शासकीय सेवक जिनके विरूद्ध आरोप है कि वे गलत / फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर कार्यरत है। उनके दिव्यांगता की पुष्टि हेतु पुनः मेडिकल बोर्ड से जांच कराई जाये नियुक्ति के समय दिव्यांग कोटे के अभ्यर्थियों द्वारा दिव्यांगता के संबंध में घोषणा-प: शपथ पत्र (स्वयं) प्रस्तुत किया जाये।

आदेश के मिुताबिक शासकीय सेवा में नियुक्ति अथवा नियुक्ति पश्चात् फर्जी / गलत दिव्यांगजन प्रमाण पत्र के आधार पर कार्यरत शासकीय सेवको को दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 91 के अनुवर्तन में मेडिकल बोर्ड द्वारा गलत करार दिये जाने पर सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र कमाक सी/3-22/93/3/एक दिनांक 30 अगस्त 1993 में दिये गये प्रावधान एवं दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 91 के प्रावधान जैसे

“जो कोई फर्जी तरीके से दिव्यांगजनों के लिए आशयित किये फायदे को लेता है या लेने का प्रयत्न करता है, वह कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक हो सकेगी या जुर्माने से, जो एक लाख रूपये तक का हो सकेगा या दोनों के साथ से दंडनीय होगा। उक्त दण्ड का भागी होगा।

पिटिशन में उल्लेखित 18 शासकीय सेवकों को निर्देशित किया जाये कि वे राज्य मेडिकल बोर्ड, रायपुर के समक्ष उपस्थित होकर अपने दिव्यांग प्रमाण-पत्र की जांच कराये। यह कार्यवाही 15 दिवस के भीतर अनिवार्य रूप से कर ली जाये। जाच उपरांत यदि किसी शासकीय सेवक का दिव्याग प्रमाण पत्र गलत फर्जी पाया जाता है तो संबंधित शासकीय सेवक को नोटिस देकर उनका जवाब प्राप्त किया जाये जवाब समाधान कारक नहीं पाये जाने पर उपरोक्तानुसार उसके विरूद्ध कार्यवाही की जाये।

 

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