Pakistan: खैबर पख्तूनख्वा में ईशनिंदा का आरोप लगाकर पीट-पीट कर युवक को उतारा मौत के घाट

खैबर पख्तूनख्वा :  पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोप के तहत हत्या करने की एक और घटना सामने आई है। दरअसल, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के राजनीतिक संगठन पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) की एक रैली के दौरान व्यक्ति की हत्या की गई। उस पर ईशनिंदा का आरोप लगाने के बाद खैबर पख्तूनख्वा के मर्दन में हिंसक भीड़ ने व्यक्ति को पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया।

40 साल के शख्स की बेरहमी से हत्या

पाकिस्तान में ईशनिंदा के तहत की गई हत्या का वीडियो सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हुआ। वीडियो में कई लोगों शख्स को बुरी तरह पीटते हुए नजर आ रहे हैं। भीड़ ने सावल ढेर इलाके में एक 40 साल के व्यक्ति को बेरहमी से पीटा और उसे सड़को पर भी घसीटा। मृतक की पहचान मौलाना निगार आलम के रूप में हुई है।

भीड़ ने शख्स को क्यों पीटा?

द फ्राइडे टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) की एक रैली के दौरान मृतक मौलाना निगार आलम पर भीड़ के सामने ईशनिंदा करने का आरोप लगा। इस दौरान उसने पीटीआई के अध्यक्ष इमरान खान की तारीफ भी की थी। उसकी इन बातों से भीड़ आक्रोशित हो गई और उस पर हमला करने पर उतारू हो गई। घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने बताया कि भीड़ को पीछे धकेलने के लिए पुलिस मौके पर पहुंची।

पीट-पीट कर उतारा मौत के घाट

गुस्साई भीड़ ने निगार आलम पर उस समय हमला किया जब वह वहां कुछ बुजुर्गों से बातचीत कर रहा था। उसी दौरान भीड़ ने उस पर हमला किया और पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया। द फ्राइडे टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि घटना से पहले, देवबंदी विचारधारा के कुछ मौलवियों ने मांग की थी कि पीड़ित के खिलाफ ईशनिंदा के आरोप में मामला दर्ज किया जाए। द फ्राइडे टाइम्स के अनुसार, विभिन्न सोशल मीडिया यूजर्स की राय थी कि उस व्यक्ति के संवेदनशील बयान ने जनता को उकसाया, जिसके कारण उस व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई।

धार्मिक अल्पसंख्यकों को डराने के लिए ईशनिंदा का उपयोग

अंतर्राष्ट्रीय और पाकिस्तानी अधिकार समूहों का कहना है कि ईशनिंदा के आरोपों का इस्तेमाल अक्सर धार्मिक अल्पसंख्यकों को डराने और व्यक्तिगत दुश्मनी निपटाने के लिए किया जाता है। पाकिस्तान की सरकार लंबे समय से देश के ईशनिंदा कानूनों को बदलने के लिए दबाव में रही है, लेकिन देश की अन्य राजनीतिक ताकतों ने कड़ा विरोध किया है। यही वजह है कि इसे अभी तक बदला नहीं जा सका है।

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