CG : मिलेट से पास्ता रागी के नूडल्स से बदली बस्तर के ग्रामीणों की जिंदगी, सैकड़ों को मिला रोजगार

जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में भी लघु धान्य वनोपज से तैयार मिलेट मिशन के तहत फूड्स प्रोडक्ट्स का व्यापार काफी सफल साबित हो रहा है. मिलेट मिशन के तहत मिलेट से बने पास्ता और रागी के नूडल्स अब बस्तर जिले ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य ओड़िसा के साथ अन्य राज्यो और देश विदेशों में भी धूम मचाने लगी है. इस मिशन के तहत बस्तर के ग्रामीणो के द्वारा लघु धान्य वनोपज रागी, कोदो ,कुटकी की प्रोसेसिंग प्लांट के माध्यम से एक से बढ़कर एक फूड्स प्रोडक्ट्स तैयार किये जा रहे हैं. जो स्वाद और सेहत से भरपूर है.

जिस वजह से मिलेट से तैयार होने वाली फूड्स प्रोडक्ट्स की डिमांड लगातार बढ़ रही है. साथ ही स्थानीय ग्रामीण महिलाओं और पुरुषों को भी इस मिलेट मिशन के तहत रोजगार भी मिल रहा है. महीने में अच्छी खासी आमदनी भी हो रही है. दरअसल छत्तीसगढ़ के बस्तर में किसानों के द्वारा उगाए जाने वाली मिलेट्स जिसमें कोदो, कुटकी और रागी उच्च पौष्टिक धान्य होती है. मिलेट्स ग्लूटेन मुक्त होते हैं. इनमें प्रोटीन ,डायट्री, फाइबर, विटामिंस और मिनरल्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. बस्तर संभाग के सातों जिलों में मिलेट्स का उत्पादन होता है.

अबुझमाड़ की महिलाओं को भी मिला रोजगार
बस्तर जिले में भी मिलेट मिशन के तहत जिला प्रशासन के सहयोग से ग्रामीणों द्वारा एक से बढ़कर एक प्रोडक्ट तैयार किए जा रहे हैं. इसकी सप्लाई भी दूसरे राज्य और देश विदेशों में होने लगी है, मिलेट्स से बनाये जा रहे प्रोडक्ट्स से संभाग के सैकड़ों ग्रामीणों को रोजगार भी मिल रहा है. मिलेट मिशन के तहत कोदो से फ्लेक्स, मिलेट्स से बने इडली रवा, रागी से बने हक्का नूडल्स, पोहा, पास्ता, कुकीज और कुटकी से पास्ता के साथ ही दर्जनों प्रोडक्ट्स तैयार किये जा रहे है. जिसके स्वाद के हर कोई दीवाने हुए हैं. केवल बस्तर जिले ही नहीं बल्कि नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ के भी नक्सल पीड़ित महिलाओं के द्वारा मिलेट मिशन के तहत फूड प्रोडक्टस तैयार किए जा रहे हैं. जिससे यहां की महिलाओं को अच्छी खासी कमाई हो रही है.

देश विदेशों में है मिलेट्स के प्रोडक्ट्स की डिमांड
दरअसल देश और विदेश में कोदो ,कुटकी रागी जैसे मिलेट्स की बढ़ती मांग को देखते हुए छत्तीसगढ़ के बस्तर में मिलेट मिशन के तहत प्रोडक्ट तैयार किया जा रहा है. इसके लिए प्रशासन के द्वारा संभाग के सभी जिलों में प्रोसेसिंग प्लांट भी तैयार किया गया है. जहां लघु धान्य वनोपज कोदो, कुटकी और रागी से अलग-अलग सेहत से भरपूर फूड प्रोडक्ट तैयार किए जा रहे हैं. राज्य सरकार ने मिलेट मिशन के माध्यम से साल 2023 तक छत्तीसगढ़ को देश में मिलेट्स हब के रूप में पहचान बनाने का लक्ष्य रखा है. इधर बस्तर के ग्रामीण अंचलों में रहने वाले आदिवासी ग्रामीणों को न सिर्फ आमदनी हो रही है. बल्कि मिलेट्स के प्रसंस्करण और वैल्यू एडिशन से किसानों, महिला समूह और ग्रामीण युवाओं को रोजगार भी मिल रहा है. जिससे उनकी जिंदगी भी बदली है.

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