शिवराज सरकार के फैसले से मुश्किल में मुस्लिम कर्मचारी, मैहर मंदिर समिति से हटाने के आदेश

मैहर। मध्य प्रदेश की सरकार ने मां शारदा देवी प्रबंध समिति को मुस्लिम कर्मचारियों को हटाने के आदेश दिए हैं. इसी के साथ सरकार ने इस धार्मिक नगरी से मांस और मदिरा की दुकानों को भी बंद करने को कहा है. सरकार के इस फैसले से मंदिर समिति में काम कर रहे दो मुस्लिम कर्मचारियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. यह दोनों कर्मचारी नियमित हैं और साल 1988 से कार्यरत हैं. लेकिन सरकार के इस फरमान के बाद इन कर्मचारियों की नौकरी पर संकट खड़ा हो गया है.

ये कर्मचारी आबिद हुसैन हैं और वह विधिक सलाहकार की भूमिका में हैं. वहीं दूसरे कर्मचारी अयूब खान जल व्यवस्था संभाल रहे हैं. राज्य सरकार की ओर से यह आदेश उप सचिव पुष्पा कलेश के हस्ताक्षर से जारी किया गया है. इसमें उन्होंने विभाग के मंत्री के हवाले से बताया है कि धार्मिक नगरी मैहर में मांस मदिरा की दुकानों को तत्काल प्रभाव से बंद किया जा रहा है. इसी के साथ उन्होंने बताया है कि मां शारदा देवी मंदिर प्रबंध समिति में अब मुस्लिम कर्मचारी काम नहीं कर सकेंगे.

पांच अप्रैल को जारी यह आदेश अब मंदिर प्रबंध समिति तक पहुंच चुका है. इस आदेश के बाद से ही मंदिर समिति में कार्यरत दोनों कर्मचारियों की नौकरी खतरे में पड़ गई है. इन कर्मचारियों का कहना है कि 35 साल की सेवा के बाद उन्हें उम्मीद नहीं थी कि इस प्रकार से सरकार एक झटके में उन्हें बाहर कर देगी. उधर, मैहर एसडीएम एवं मां शारदा प्रबंध समित के प्रशासक धर्मेंद्र मिश्रा ने बताया कि सरकार का पत्र मिला है.

जल्द ही मंदिर प्रबंध समिति की बैठक बुलाकर इस पत्र के संबंध में विचार विमर्श किया जाएगा. इसके बाद जो भी निर्णय होगा, उसके मुताबिक आगे की कार्रवाई होगी. इससे पहले सतना जिले के एक हिदू संगठन की ओर से मंत्री उषा ठाकुर को ज्ञापन सौंपा गया था. इसमें संगठन ने मां शारदा प्रबंध समिति के क्षेत्राधिकार से मुस्लिम कर्मचारियों को बाहर करने और शहर से मांस और मदिरा की दुकाने हटाने की मांग की गई थी. मंत्री ऊषा ठाकुर ने इस पत्र के संदर्भ में विभागीय अधिकारियों से जवाब मांगा था.

वहीं अब इस संबंध में आदेश जारी किया है. सरकार के इस फैसले को जहां हिन्दू संगठन अपनी जीत बता रहा है, वहीं मुस्लिमों में काफी आक्रोश है. कहा कि मां शारदा मंदिर में दर्शन और सेवा करने वालों में कोई जाति मजहब का बंधन नहीं है. ऐसे में यहां काम करने वाले कर्मचारियों की जाति के आधार पर रोजी रोटी छीन लेना भी गलत है. बता दें कि मैहर वाली मां शारदा से विश्व विख्यात उस्ताद बाबा अलाउद्दीन खान की प्रसिद्धि मानी जाती है. कहा जाता है कि बाबा अलाउद्दीन खान मां के बड़े उपासक थे. सरकार के इस पत्र पर तमाम अधिकारी आपत्ति तो जता रहे हैं, लेकिन कोई भी इस संबंध में आधिकारिक तौर पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है.

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