नई दिल्ली : युवा पहलवान अमन सहरावत ने एक बार फिर देश को गौरवान्वित किया है। उन्होंने बृहस्पतिवार को एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में देश को स्वर्ण पदक दिलाया, लेकिन यहां तक पहुंचने में उन्हें कड़ा संघर्ष करना पड़ा है।
हरियाणा के झज्जर के अमन ने बचपन में ही अपने माता-पिता को खो दिया था। उनके जाने के बाद से घर की आर्थिक स्थिति भी बिगड़ गई थी। इसके अलावा उनकी एक छोटी बहन भी है, जिनकी पढ़ाई के खर्च की जिम्मेदारी भी उनके कंधों पर है। उनके सामने आर्थिक संकट भी था, लेकिन इन तमाम चुनौतियों के बावजूद उनके कड़े हौसलों ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है।
अमन दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में कोच प्रवीन दहिया के मार्गदर्शन में अभ्यास करते हैं। प्रवीन ने अमर उजाला को बताया कि अमन जब स्टेडियम में आए थे तो उनकी घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। उनके माता-पिता का बचपन में ही देहांत हो गया था। लेकिन हमें पता था कि वह काफी प्रतिभाशाली पहलवान हैं और अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश को पदक दिला सकते हैं।
करीब तीन महीने पहले उनकी रेलवे में नौकरी लगी थी जिसके बाद उनकी आर्थिक स्थिति थोड़ी ठीक हुई। वह लगातार दो साल से राष्ट्रीय चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। हमारी अमन से बातचीत होती है कि तुम अपने लक्ष्य पर ध्यान दो। तुम्हें चैंपियन पहलवान बनना हैं। अमन ने मुझसे कई बार कहा है कि वह ओलंपिक में पदक जीतना चाहते हैं। वह अपने इस लक्ष्य की ओर बढ़ चले हैं।