15 साल पहले हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे तीन आरोपी, अब छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने किया बरी

बिलासपुर : छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 15 साल पुराने मर्डर केस में उम्र कैद की सजा काट रहे तीन आरोपियों को बरी कर दिया है. हाई कोर्ट की डबल जजों की बेंच ने आरोप साबित करने में असफल और आरोपियों को संदेह का लाभ देने की बात कहते हुए फैसला सुनाया है. जानें पूरा मामला-

मर्डरकेस में उम्र कैद की सजा काट रहे तीन आरोपी बरी

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने साल 2010 में हुई हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा पाए तीनों आरोपियों को बरी कर दिया है. न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभू दत्त गुरु की खंडपीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में असफल रहा और आरोपियों को संदेह का लाभ दिया गया. मामला 18 मई 2010 का है, जब मृतक का शव उनके ईंट भट्ठे के पास ट्रैक्टर और ट्रॉली के बीच मिला था. ट्रायल कोर्ट ने 2015 में तीनों को हत्या (धारा 302) और संपत्ति के अवैध कब्जे (धारा 404) का दोषी ठहराकर सजा सुनाई थी.

अपीलकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता श्रीकांत कौशिक ने पैरवी की और उन्होंने दलील दी कि इस मामले में कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं है. अभियोजन का पूरा केस सिर्फ परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित है. जब्त सामान पर कोई एफएसएल रिपोर्ट नहीं है और कथित बरामदगी भी संदेहास्पद परिस्थितियों में हुई है. उन्होंने कहा कि इस तरह साक्ष्यों की श्रृंखला अधूरी है और हत्या से जोड़ने वाला कोई ठोस सबूत मौजूद नहीं है, इसलिए अभियुक्तों को संदेह का लाभ देकर बरी किया जाना चाहिए.

हाई कोर्ट ने पाया कि घटना का कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं था और पूरा मामला केवल परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित था. जब्त किए गए मोबाइल, नकदी और कपड़ों पर एफएसएल रिपोर्ट नहीं थी और बरामदगी भी संदिग्ध परिस्थितियों में हुई थी. मृतक की मां समेत कई गवाहों ने स्पष्ट कहा कि उनका आरोपियों से कोई बैर नहीं था और उन्होंने केवल संदेह के आधार पर नाम लिया था.

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