प्रदेश में पहली बार 660 मेगावाट के दो संयंत्र : पानी से बनेगी 7300 मेगावाट बिजली

रायपुर। प्रदेश सरकार राज्य में बिजली का उत्पादन बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है। 14 हजार मेगावाट की योजनाओं पर काम चल रहा है। पहले चरण में मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरबा में 660 मेगावाट के दो संयंत्र के निर्माण का उद्घाटन किया है। सुपर क्रिटिकल धर्मल पॉवर प्रोजेक्ट की 660 मेगावाट की दो इकाइयों का निर्माण भारत हैवी इलेक्ट्रकल लिमिटेड (मेल) के सहयोग से किया जाएगा। संभावना है कि इस माह से इसका काम प्रारंभ हो जाएगा। इसका निर्माण 2029 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
छत्तीसगढ़ के अलग राज्य बनने के बाद पहली बार छत्तीसगढ़ राज्य उत्पादन कंपनी के कोरबा पश्चिम में 660 मेगावाट के दो संयंत्र बनेंगे। इसके निर्माण कार्य का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर दिया है। इसके पहले सबसे बड़े दो संयंत्र 500-500 मेगावाट के मड़वा में लगे थे। कोरबा पश्चिम में पॉवर कंपनी के पास अपनी जमीन भी है। यहां 60 साल पुराने 50 मेगावाट के चार और 20 मेगावाट के दो संयंत्र प्रदूषण के कारण बंद हो चुके हैं। अब उसी स्थान पर नए पर काम प्रारंभ किया जाएगा। मड़वा में भी 660 मेगावाट का एक संयंत्र लगाने की योजना है॥
पांच स्थानों पर पानी से बनेगी बिजली
पानी से बिजली बनाने के लिए पांच स्थानों का चयन किया गया है। इसमें हसदेव बांगो कोरबा में आठ सौ और सिकासेर बांध गरियाबंद में 12 सौ मेगावाट का प्लांट लगेगा। जशपुर के डांगरी में 14 सौ मेगावाट और रौनी में 120 मेगावाट का प्लांट लगाया जाएगा। इसके लिए तैयारी हो गई है। पहले चरण में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के गृह जिले जशपुर में 35 सौ मेगावाट बिजली का उत्पादन पानी से किया जाएगा। इसी के साथ बलरामपुर के कोटपल्ली में 18 सौ मेगावाट का प्लांट लगेगा। इन स्थानों पर पंप हाइड्रो योजना के तहत 7300 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा।