राजस्व सचिव से वार्ता विफल : छत्तीसगढ़ में अब तहसीलदार करेंगे अनिश्चितकालीन हड़ताल

बलौदा बाजार। छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के आह्वान पर प्रदेश के तहसीलदार और नायब तहसीलदार अपनी 17 सूत्रीय मांगों को लेकर सप्ताह भर से आंदोलनरत हैं। शासन से बार-बार निवेदन और आग्रह के बावजूद कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया। जिसके बाद संघ ने प्रदेशव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल प्रारंभ कर दी है।
दरअसल, 31 जुलाई 2025 को संघ के प्रांताध्यक्ष कृष्णकुमार लहरे के नेतृत्व में प्रांतीय पदाधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल ने राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव अविनाश चंपावत से लगभग 1घंटा 30 मिनट की बैठक की। सकारात्मक पहल के अभाव में बैठक विफल रही। वार्ता के दौरान संघ ने 17 सूत्रीय मांगों की वस्तुनिष्ठ और विधिपूर्ण प्रस्तुति की। सचिव ने प्राथमिकता जाननी चाही, जिस पर संघ ने स्पष्ट किया कि, उनकी सभी मांगें अत्यंत आवश्यक हैं, फिर भी कुछ मांगों को शीर्ष प्राथमिकता की श्रेणी में रखते हुए विशेष रूप से रेखांकित किया गया।
प्रमुख मांगे इस प्रकार है
- प्रत्येक तहसील में सेटअप की पूर्ण व्यवस्था
- – न्यूनतम दो कुशल ऑपरेटर, कंप्यूटर, प्रिंट, स्कैनर, इंटरनेट सुविधा एवं भत्ता सुनिश्चित किया जाए।
- शासकीय वाहन की उपलब्धता
- तहसीलों के लिए पृथक वाहन, नियमित ईंधन आपूर्ति एवं चालक की स्थायी व्यवस्था लागू की जाए।
- 50:50 पदोन्नति व्यवस्था की पुन: बहाली
- डिप्टी कलेक्टर पद पर विभागीय पदोन्नति हेतु 50:50 का संतुलित अनुपात पुनः लागू हो।
- नायब तहसीलदार को राजपत्रित अधिकारी का दर्जा प्रदान किया जाए।
- ग्रेड-पे में सुधार
- नायब तहसीलदार हेतु ₹4300 और तहसीलदार हेतु ₹4800 ग्रेड-पे निर्धारित किया जाए।
- सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ की जाए.
11 राजस्व न्यायिक कार्यों में अधिकारी/कर्मचारी को संरक्षण हेतु पूर्व सुरक्षा आदेशों का पूर्ण क्रियान्वयन किया जाए।
- एसएलआर/एएसएलआर को राजस्व प्रभार से मुक्त रखने संबंधी आदेशों का अनुपालन कराया जाए।
- अनुचित कार्यवाही, निलंबन या ऍफ़आईआर की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए.
- न्यायाधीश (संरक्षण) अधिनियम, 1985 के प्रावधानों का सख्ती सेपालन सुनिश्चित किया जाए।
कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं
बैठक में सभी विषयों पर गंभीरतापूर्वक चर्चा हुई, परंतु सचिव महोदय ने केवल पत्राचार, डाटा संकलन और शासन स्तर पर विचार-विमर्श की बात कही। संघ को किसी भी मांग पर ठोस निर्णय या समयबद्ध आश्वासन प्राप्त नहीं हुआ। इस कारण, संघ ने इसे असफल बैठक घोषित किया है और यह स्पष्ट कर दिया है कि जब तक शासन द्वारा गंभीर, निर्णायक और सकारात्मक पहल नहीं की जाती, तब तक यह हड़ताल अनवरत जारी रहेगी।