26 साल बाद दिवंगत टीआई को मिला न्याय : मौत के बाद पत्नी ने लड़ी क़ानूनी, रिश्वत लेने के लगे थे आरोप

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के दिवंगत टीआई को 26 साल बाद हाई कोर्ट से न्याय मिला है। साल 1990 में स्पेशल कोर्ट ने रिश्वत के आरोप में थाना प्रभारी को तीन वर्ष की सजा सुनाई थी। जिसके बाद अपील में थाना प्रभारी ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। वहीं इस दौरान क़ानूनी लड़ाई लड़ते हुए उनकी मृत्यु हो गई। जिसके बाद उनकी पत्नी ने लड़ाई लड़ी।
मिली जानकारी के अनुसार, रायपुर बसना थाना के तत्कालीन प्रभारी ने तीन के खिलाफ मारपीट के आरोप में मामला दर्ज किया था। जिसके बाद तीनों आरोपी मुचलका में छुट गए थे। छूटने के दो दिन बाद तीन आरोपियों में से एक ने दुर्भावनावश थाना प्रभारी पर रिश्वत मांगने का आरोप लगा दिया था। वहीं अब हाई कोर्ट के जस्टिस संजय अग्रवाल की बेंच ने उन्हें दोषमुक्त किया है। टीआई के मृत्युपरांत पत्नी ने 26 साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी। तब कहीं जाकर अब थाना प्रभारी को न्याय मिला है।
पूर्व मंत्री लखमा को नहीं मिली जमानत
वहीं शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में जेल में बंद पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा की जमानत याचिका हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने खारिज कर दी है। जस्टिस अरविंद वर्मा की बेंच में सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जमानत नहीं दी जा सकती।
लखमा के वकील की हर दलील खारिज
शुक्रवार को ईओडब्ल्यू की गिरफ्तारी के केस में बेल पर सुनवाई हुई, जिसमें तर्क दिया गया कि साल 2024 में केस दर्ज किया गया था, जिसमें डेढ़ साल बाद गिरफ्तारी की गई है, जो गलत है। इस दौरान लखमा का कभी पक्ष ही नहीं लिया गया, लेकिन जब उन्हें गिरफ्तारी का शक हुआ और अग्रिम जमानत की अर्जी लगाई गई तब गिरफ्तार कर लिया गया। यह बताया गया कि, केवल बयानों के आधार पर उन्हें आरोपी बनाया गया है। जबकि, उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है। पूर्व मंत्री को राजनीतिक षडयंत्र के तहत फंसाने का आरोप लगाया गया है।