मदिराप्रेमियो के लिए खुशखबरी : छत्तीसगढ़ में मिलेगी नई ब्रांड की शराब, देशी “सवा शेरा” सौ रुपए पौव्वा में होगी उपलब्ध

रायपुर। छत्तीसगढ़ में अब देशी शराब के शौकीनों की मौज होने वाली है। दरअसल बरसों से एक ही तरह की देशी शराब पीने वालों के लिए अब एक नया ब्रांड सवा शैरा मर्किट में उतर आया है। राज्य में अब तक तीन निर्माताओं के ब्रांड ही प्रचलन मैं थे, लेकिन अब चौथा और नया ब्रांड हाजिर हो गया है। खास बात ये है कि इसकी कीमत भी अन्य ब्रांड के बराबर यानी पाव 100, अद्धा 200 और बोतल 400 रुपये की होगी। यह रेट सवा शेरा मसाला के लिए है, जबकि प्लैन के लिए कीमत 80, 160 और 320 रुपए रखी गई है।
आबकारी विभाग के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, राज्य में देशी शराब की मांग सप्लाई के मुकाबले अधिक है, इसे देखते हुए देशी शराब बॉटलिंग का एक और लाइसेंस जारी किया गया है। इसी लाइसेंस पर सवा शेरा ब्रांड उतारा गया है। बताया गया है कि राज्य में देशी शराब की मांग काफी अधिक है। वर्तमान में तीन कंपनियों को देशी शराब की बॉटलिंग का लाइसेंस दिया गया है, लेकिन ये तीनों मिलकर देशी की जितनी आपूर्ति करती हैं, मांग उससे अधिक है। यही कारण है कि अब चौथा बॉटलिंग लाइसेंस जारी किया गया है। बताया गया है कि राज्य की एक स्थानीय इकाई जो सिम्बा ब्रांड नाम के साथ बीयर बनाती है, वही देशी ब्रांड सवा शेरा बाजार में लेकर आ रही है।
देसी के शौकीन सबसे अधिक
आबकारी विभाग के सूत्रों की मानें तो राज्य में सबसे अधिक देशी शराब की मांग और खपत है। पीने-पिलाने के शौकीन बड़ी-बड़ी कंपनियों के महंगे ब्रांड की जगह देशी को पसंद करते हैं। छत्तीसगढ़ में देशी शराब की बिक्री के आंकड़े देखने से ये बात साफ होती है। राज्य में पिछले साल 1 जनवरी से 31 दिसंबर 2024 की स्थिति में 467,02 प्रूफ लीटर देशी शराब बिकी है। एक प्रूफ लीटर का मतलब 100 लीटर होता है। यानी देशी पीने वाले साल भर में पीने पांच लाख लीटर से अधिक शराब पी गए। हाल के वर्षों में किए गए. सर्वेक्षणों और समाचारों के अनुसार, छत्तीसगढ़ भारत के उन राज्यों में शुमार है, जहां शराब की खपत सबसे अधिक है। केंद्र सरकार और विभिन्न स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा किए गए सर्वेक्षणों ने इस बात की पुष्टि की है कि राज्य की एक. बड़ी आबादी शराब का सेवन करती है, जिसमें देशी शराब का हिस्सा प्रमुख है।
हाथ भट्टी की भी छलकती है छत्तीसगढ़ में
छत्तीसगढ़ में केवल ब्रांडेड देशी, अंग्रेजी, विदेशी शराब ही नहीं बल्कि घर में बनाई गई हाथ भट्टी की शराब पीने का प्रचलन है और बाकायदा इसके उपयोग की अनुमति भी सरकार देती है। राज्य में अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) समुदाय के लोगों को विनिर्मित देशी शराब मदिरा रखने की प्रति परिवार लिमिट 5 लीटर है। सामाजिक धार्मिक उत्सवों पर शराब के उपयोग की लिमिट तय है। इसी तरह एससी-एसटी वर्ग के लिए धार्मिक उत्सवों पर चावल या ज्वार से निर्मित लांदा एवं हंडिया तथा महुआ से निर्मित हाथ भट्टी शराब पांच लीटर तक बनाकर रख सकते हैं। इसके परिवहन के लिए पास की जरूरत इन्हें नहीं होती है।