महिला एवं बाल विकास विभाग में भ्रष्टाचार उजागर : सप्लायर व अधिकारी मालामाल…क्या जांच के बाद होगी कार्यवाही व रिकवरी

रायपुर/बिलासपुर : सिस्टम कितना सड़ चुका है, इसका जीता-जागता और बेहद शर्मनाक उदाहरण सामने आया है महिला एवं बाल विकास विभाग में! जिस विभाग की नींव मातृत्व शक्ति और नौनिहालों के भविष्य पर टिकी है, उसी में सरकारी खजाने पर डाका डाला गया है! बात हो रही है केंद्र प्रायोजित एकीकृत बाल विकास योजना ICDS के महाघोटाले की, जहां करीब 40 करोड़ रुपये के घटिया सामान की खरीदी कर करोड़ों का खेल किया गया है। मार्च 2024-25 में आनन-फानन में अनाज कोठी, फर्नीचर, बर्तन, सैनिटरी मशीन, वजन मापने की मशीनें खरीदी गईं, लेकिन जो माल आंगनबाड़ी केंद्रों में पहुंचा है, वह रद्दी से भी बदतर है! गुणवत्ता इतनी खराब है कि इसे कबाड़ कहना भी कबाड़ की बेइज्जती होगी! और तो और, यह घटिया सामान बिना किसी वास्तविक जरूरत के कई केंद्रों में ठूंसा गया है, सिर्फ बिल पास कराने की साजिश के तहत!

क्वालिटी के नाम पर जीरो, कागजों पर हीरो!

इस भ्रष्टाचार के खेल का पर्दाफाश तब हुआ जब जमीनी स्तर पर इन सामग्रियों को देखा गया। रायपुर स्थित संचालनालय से हुई आपूर्ति में खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं। अनाज कोठी के लिए 8 गेज की स्टील शीट निर्धारित थी, लेकिन सप्लाई की गई कोठियां महज 4 गेज की हैं! ये पेटियां इतनी पतली हैं कि हाथ से दबाने पर पिचक जाती हैं, अनाज रखना तो दूर! आलमारी का मानक वजन 75 किलो होना चाहिए था ताकि वह मजबूत हो, लेकिन चहेती फर्मों ने महज 45 किलो की हल्की-फुल्की आलमारियां भेज दीं, जिनमें फिक्स दराज हैं, जबकि मानक स्प्रिंग वाले दराज का है!

नामी कंपनी के नाम पर धोखाधड़ी, रद्दी माल सप्लाई!

सामग्री सप्लाई के लिए आयुष मेटल अंबिकापुर और श्याम इंडस्ट्रीज बिलासपुर को आदेश मिला था। कमाल देखिए, इन कंपनियों ने निविदा में नामी भारतीय कंपनी GKen के नाम पर भाग लिया, लेकिन खेल यह हुआ कि माल GKen से लिया ही नहीं गया! जाहिर है, माल कहीं और से उठाया गया, ताकि कमाई ज़्यादा हो सके! इधर, GKen छत्तीसगढ़ डिस्ट्रीब्यूटर ने खुद साफ किया है कि उन्होंने महिला एवं बाल विकास के लिए कोई माल सप्लाई नहीं किया। अरबन सप्लायर ने तो कमाल ही कर दिया! पूरे प्रदेश के लिए निम्न स्तर के बर्तन सप्लाई कर दिए। निविदा में 304 ग्रेड का चकाचक बर्तन मांगा गया था, लेकिन केंद्रों में लगभग 202 ग्रेड का रद्दी माल दिया जा रहा है!

जशपुर में सबसे बड़ा बवाल, अंबिकापुर में अफसरों की चुप्पी!

इस घोटाले का सबसे भयानक रूप जशपुर जिले में दिखा है। यहां 17 परियोजना क्षेत्रों के तहत 4,000 से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्रों में टेबल, कोठी और प्लास्टिक डब्बे पहुंचे हैं, जिनकी गुणवत्ता बेहद घटिया पाई गई है। पंचायत प्रतिनिधियों का गुस्सा सातवें आसमान पर है और उन्होंने घोटालेबाजों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बगीचा जनपद सीईओ कमलकांत श्रीवास ने तो हिम्मत दिखाते हुए उच्चाधिकारियों से कड़ी कार्रवाई की मांग की है। स्थानीय नेताओं के अनुसार निविदा की शर्तों का खुला उल्लंघन हुआ है। अंबिकापुर में भी अंधेरगर्दी दिखी! यहां अमानक आलमारी, कुर्सी और अनाज पेटी भेजी गई, लेकिन अफसरों ने आंखें मूंद लीं और कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई! गुणवत्ता खराब होने के बावजूद सामान ले लिया गया और तो और, खेल देखिए, आधा-अधूरा सामान लेकर पावती भी दे दी गई, ताकि सप्लाई का बिल पास हो सके!

पूरे राज्य में भ्रष्टाचार का जाल, ऊपर से नीचे तक सेटिंग!

ये घोटाला सिर्फ कुछ जिलों तक सीमित नहीं, बल्कि रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, बस्तर, अंबिकापुर और जांजगीर सहित पूरे प्रदेश में फैला भ्रष्टाचार का मकड़जाल है! संचालनालय रायपुर में बैठे आकाओं ने अपने चहेतों और परिवार के सदस्यों को फायदा पहुंचाया। सूत्रों की मानें तो एक जिम्मेदार अधिकारी ने तो सैनिटरी आइटम सप्लाई का ऑर्डर अपने ही परिवार के सदस्य को दे दिया! यह साफ दिखाता है कि ऊपर से नीचे तक सेटिंग है और जनता के पैसे को लूटने का खेल बेखौफ चल रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग, जो पहले से ही अनियमितताओं के लिए बदनाम रहा है, उसने भ्रष्टाचार की एक और गहरी खाई खोद दी है। सालों से चली आ रही गड़बड़ियों की यह नई कड़ी साबित करती है कि भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं और सिस्टम कितना सड़ चुका है! मुख्यमंत्री को शिकायतें भेजी गई हैं, लेकिन क्या इस बार वाकई दोषियों के गले पर हाथ पड़ेगा या सिर्फ जांच का नाटक होकर ये घोटालेबाज फिर बच निकलेंगे? यह सवाल सिस्टम पर जोरदार तमाचा है और जनता जवाब मांग रही है!

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